प्यार ख़ुशी सुंदरता ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
सार्वजनिक जगह पर मिल बैठे
इधर उधर की तमाम बातों से
दिल को सभी ने ऐसे बहलाया
चर्चा कर रहे थे कुछ लोग यही
अजनबी लगते जाने पहचाने से
क्या खोया सबने क्या कुछ पाया
निष्कर्ष क्या कोई नहीं जानता
मिलकर सभी ने शायद था बस
फुर्सत से कुछ वक़्त यूं बिताया
समय बड़ा अनमोल नहीं समझा
निरर्थक ही समय अपना गंवाया ।
किसी ने अपनी प्रिय पत्नी संग
प्यार भरा मधुर गीत नाचते हुए
सोशल मीडिया पर वीडियो बना
यादगार मधुर एहसास था जगाया
प्यार सुंदरता क्या होती हमको
राज़ कभी भी समझ नहीं आया
दिल की बात दिल कहता है पर
ज़माने को किसलिए दिखलाया
बड़ी निराली जगत की रीत देखी
कौन अपना है कौन हुआ पराया ।
खुश हैं हम कितने खुशनसीब हैं हम
बाहर इक आवरण लगाकर रोज़ ही
अपने भीतर सच को कितना छुपाया
होंठों पर हंसी मगर आंखों में दर्द था
ज़िंदगी तुमने कितना हमको रुलाया
रूह बेचैन है तड़पती कितना लेकिन
खूब बनावट कर सजाई हमने काया
सभी को मालूम क्या है जीवन- सार
चेहरे को छुपा मुखौटा लगाए हैं हम
अजब ज़माना आजकल नया आया ।
...बाहर आवरण लगाकर👍👌
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