Expressions by Dr Lok Setia ( डॉ लोक सेतिया का लेखन )

मेरे ब्लॉग पर मेरी ग़ज़ल कविताएं नज़्म पंजीकरण आधीन कॉपी राइट मेरे नाम सुरक्षित हैं बिना अनुमति उपयोग करना अनुचित व अपराध होगा । मैं डॉ लोक सेतिया लिखना मेरे लिए ईबादत की तरह है । ग़ज़ल मेरी चाहत है कविता नज़्म मेरे एहसास हैं। कहानियां ज़िंदगी का फ़लसफ़ा हैं । व्यंग्य रचनाएं सामाजिक सरोकार की ज़रूरत है । मेरे आलेख मेरे विचार मेरी पहचान हैं । साहित्य की सभी विधाएं मुझे पूर्ण करती हैं किसी भी एक विधा से मेरा परिचय पूरा नहीं हो सकता है । व्यंग्य और ग़ज़ल दोनों मेरा हिस्सा हैं ।

जून 26, 2025

POST : 1989 नादान हैं सच से अनजान हैं ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

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      नादान हैं सच से अनजान हैं ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया  समझते हैं भगवान संविधान धरती आसमान कुछ भी नहीं जिस की समझ उनको नहीं है , पढ़ना जान...
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जून 25, 2025

POST : 1988 संविधान ज़िंदा है जनता की बदौलत ( विमर्श ) डॉ लोक सेतिया

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 संविधान ज़िंदा है जनता की बदौलत ( विमर्श ) डॉ लोक सेतिया   कुछ लोग समझते ही नहीं कि संविधान कोई जिस्म नहीं है भारत की जनता की आत्मा है रूह ह...
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जून 22, 2025

POST : 1987 पचास साल से जारी सफ़र ( 1975 से 2025 ) डॉ लोक सेतिया

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  पचास साल से जारी सफ़र ( 1975 से 2025 ) डॉ लोक सेतिया  आज लगता है बात वहीं से शुरू की जाए जिस दिन ज़िंदगी ने इक राह चुनी थी इक मकसद इक संकल्प...
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जून 19, 2025

POST : 1986 कब होगी पूरी , इक हसरत अधूरी ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

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  कब होगी  पूरी  , इक  हसरत अधूरी ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया  बस इक नॉबेल पुरूस्कार की चाहत है , सब कुछ थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है , ख़ुद से खफ़ा...
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जून 13, 2025

POST : 1985 धुंध से आना धुंध में जाना ( शून्य से शून्य तक ) डॉ लोक सेतिया

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 धुंध से आना धुंध में जाना  ( शून्य से शून्य तक  ) डॉ लोक सेतिया  भला कीजे भला होगा , बुरा कीजे बुरा होगा ,  बही लिख लिख के क्या होगा ,  यही...
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जून 12, 2025

POST : 1984 राजनीति की आत्मकथा ( व्यंग्य - कथा ) डॉ लोक सेतिया

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    राजनीति की आत्मकथा ( व्यंग्य - कथा ) डॉ लोक सेतिया   ये पुरातन काल की बात है  , देखा तो नहीं ऐसा भी ज़माना हुआ करता था लोग वास्तव में आदम...
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जून 08, 2025

POST : 1983 शोध प्यार के फूलों पर ( हास - परिहास ) डॉ लोक सेतिया

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      शोध प्यार के फूलों पर ( हास - परिहास ) डॉ लोक सेतिया  पीएचडी के लिए इक छात्र ने ये विषय चुना है उसने अपनी नानी से कभी इक कहानी सुनी थी...
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जून 06, 2025

POST : 1982 दोस्ती अच्छी ना दुश्मनी अच्छी ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

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     दोस्ती अच्छी ना दुश्मनी अच्छी  ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया  चोरी चोरी चुपके चुपके नहीं सोशल मीडिया पर दुनिया भर के सामने लड़ना झगड़ना  ऐसे ...
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जून 05, 2025

POST : 1981 आप जनाब आप हैं हम क्या हैं ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

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     आप जनाब आप हैं हम क्या हैं ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया  कुछ लोग पहली कतार में बैठते हैं , उनको पिछली कतार में बैठना मंज़ूर नहीं तो कुछ मंच पर...
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जून 04, 2025

POST : 1980 तस्वीर लगाई है संग-संग ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

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             तस्वीर लगाई है संग-संग ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया   यहां आज उन तस्वीरों का ज़िक्र नहीं है जो दिन महीने मौसम देख कर बदलते रहते हैं...
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जून 03, 2025

POST : 1979 ख़तरनाक हैं ख़िलौने ( हास- परिहास ) डॉ लोक सेतिया

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     ख़तरनाक हैं ख़िलौने ( हास- परिहास ) डॉ लोक सेतिया   यही गलती विधाता से हुई थी इंसान रुपी खिलौने बनाये थे अपनी दुनिया को सजाने को , उसी आद...
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जून 01, 2025

POST : 1978 ख़ामोशी का आलम है ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

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        ख़ामोशी का आलम है ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया   खुश्क हैं आंखें जुबां खामोश है ( ग़ज़ल )  डॉ लोक सेतिया "तनहा" खुश्क हैं आंखें...
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POST : 1977 कहां है सीमा उलझन आन पड़ी ( चिंतन - मनन ) डॉ लोक सेतिया

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  कहां है सीमा उलझन आन पड़ी  ( चिंतन - मनन ) डॉ लोक सेतिया  हद के भीतर रहना ज़रूरी है , माना बात कहना मज़बूरी है लेकिन आपसी तालमेल रखना है दिल ...
मई 31, 2025

POST : 1976 चल उड़ जा रे पंछी ( हास - परिहास ) डॉ लोक सेतिया

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       चल उड़ जा रे पंछी   ( हास - परिहास ) डॉ लोक सेतिया  क्या क्या नहीं किया इक अपना आभामंडल बनाने को , धुंवा बना के फ़िज़ा में उड़ा दिया मुझक...
मई 30, 2025

POST : 1975 हमको मिलते हैं समाज से ( बात व्यंग्य की ) डॉ लोक सेतिया

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   हमको मिलते हैं समाज से ( बात व्यंग्य की ) डॉ लोक सेतिया  सच कहता हूं मैं चाहता हूं हमेशा से आरज़ू रही है ये नामुराद विधा छोड़ कोई ग़ज़ल कोई क...
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मई 29, 2025

POST : 1974 तमाशा भी खुद ही तमाशाई भी ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

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      तमाशा भी खुद ही तमाशाई भी ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया   लोग झूठी कसमें खाते हैं जानते हैं कोई नहीं मरता झूठ के सहारे दुनिया ज़िंदा है सच ...
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मई 27, 2025

POST : 1973 अच्छे लोग कहते हैं ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

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      अच्छे लोग कहते हैं ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया   पिछले कुछ सालों से बहुत लोग किसी को भला बुरा कहने में हद पार कर चुके हैं , किसी को म...
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पांच पुस्तकें प्रकाशित :- ग़ज़ल , कविता , कहानी , व्यंग्य , हास्य- व्यंग्य विधाओं की हुई हैं।

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Dr. Lok Setia
Fatehabad, Haryana, India
प्रकाशित पुस्तकें :- फ़लसफ़ा -ए - ज़िंदगी ( ग़ज़ल संग्रह ) , एहसासों के फूल ( कविता संग्रह ) , हमारे वक़्त की अनुगूंज ( व्यंग्य रचना संग्रह ) , दास्तानें ज़िन्दगी ( कहानी संग्रह ) , शून्यकाल का आलाप ( हास्य-व्यंग्य रचना संग्रह )
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