जुलाई 31, 2024

POST : 1871 दिल की धड़कन नज़र के नूर रहे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया

     दिल की धड़कन नज़र के नूर रहे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया  

दिल की धड़कन नज़र के नूर रहे 
पास रह कर भी कितना दूर रहे । 
 
एक होंठों तलक पहुंचा न कभी 
जाम हाथों में सब भरपूर रहे ।
 
कौन समझा कभी भी बात यही 
हुस्न वाले सदा मगरूर रहे । 
 
वो कभी जाम को छूते ही नहीं 
पर हमेशा नशे में चूर रहे । 
 
जब मिलाई नज़र मुंह फेर लिया 
ये अजब इश्क़ में दस्तूर रहे । 
 
बेबसी क्या है मुश्किल कुछ कहना 
सब ही अपनी जगह मज़बूर रहे ।
 
चारागर भी बना दुश्मन अपना 
ज़ख़्म बनते सभी नासूर रहे ।  

बेगुनाही हमारा जुर्म बनी 
फ़ैसले हमको सब मंज़ूर रहे ।
 
कौन अब नाम रखता याद यहां 
हम भी ' तनहा ' कभी मशहूर रहे ।  



 

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