जून 24, 2024

POST : 1848 कुत्तों से मुहब्बत क्यों है ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

     कुत्तों से मुहब्बत क्यों है ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया 

उनका भरोसा है वफ़ादार हैं , आदमी नासमझ हैं , कुत्ते समझदार हैं । इक महिला की लिखी कहानी है दूध दूध पानी पानी है हर बात की कोई निशानी है नानी कहती है बिल्ली मौसी है शेर से रिश्ता है उसकी नादानी है । महिला ने सभी को अपना बनाया हर किसी से रिश्ता नाता निभाया पर कोई अपना नहीं हुआ सारा जहां पराया । तब जाकर ये राज़ समझ आया टॉमी मिला जब तब लगा ख़ुदा मिल गया है फटा हुआ कुर्ता फिर से सिल गया है । जिसके मिलने से दुनिया खूबसूरत लगती है जाने क्यों उसकी ज़रूरत अपनी चाहत लगती है । संग बस उसी का हसीन हर लम्हा कोई ख़्वाब था जो अब हक़ीक़त लगती है जिनसे निभाया साथ अभी तलक कुछ नहीं इक अज़ाब था । टॉमी के गले में पट्टा बांध कर जन्म जन्म का नाता बना लिया है बस यही ऐतबार के काबिल है दुनिया भर को आज़मा लिया है । कुत्ता कहना नहीं अच्छा अपना हबीब है दुनिया में वही सबसे करीब है । हर आदेश समझता है जो चाहें कर दिखाता है हर किसी को भौंककर डराता अपने पास दुम हिलाता है । मुझको सबसे बढ़कर उसी का ख़्याल है कितना समझदार है कुदरत का कमाल है । गले उसको लगाती है गोदी में बिठाती है बच्चों की ममता उस पर लुटाती है । ज़माना कितना बदल गया है अजब दस्तूर चल गया है कोई सर पर बैठा है कोई हाथों से फिसल गया है । 
 
देश की सरकार भी देती है यही गवाही सब ने कसम भुलाई की है बेवफ़ाई सिर्फ कुत्तों ने वफ़ादारी खूब निभाई है बिक चुके हैं फिर भी कीमत है चुकाई । सांप नेवले की देखी है लड़ाई लेकिन मिल बैठे जब जान पर है आई कोई क्या करे बढ़ाई , कोई क्या किसे सुनाए चाचा हो या हो ताई ज़माने की बेहयाई किस ने नहीं दिखाई । कुत्तों ने अपनी पहचान कायम रखी है जिस किसी ने हड्डी फैंकी दौड़कर उठाई , कुत्तों से बचना काट लिया तो जान पर बन आई । कुत्तों को बचाव के टीके लगवा अपनी ज़िंदगी बचाई , कुत्तों की एकता है अपनी गली में किसी और को नहीं आने देते , दुश्मन है क्या कौन भाई । कुत्तों का रुतबा ऊंचा है औकात बड़ी है जिस का कोई पालतू उसकी हर बात बड़ी है । है कौन मालिक कौन हुक़्म चलाता है हर पालने वाले को कुत्ता बेबस बताता है उसको तरस आता है इंसान को नहीं देता खुद भी कम खाता है हमको मनचाहा लेकर हाथ से खुद खिलाता है । आदमी आदमी से नफ़रत करते हैं जानवर से क्या मुहब्बत करते हैं , हिफ़ाज़त करते हैं आदमी की कुत्ते आदमी से आदमी अदावत करते हैं । जिन लोगों का कुत्ता भगवान बन गया है फ़रिश्ता उनको लगता शैतान बन गया है । इक दिन तो हक़ीक़त कुत्तों को समझ आएगी , सरकार उनको मौलिक अधिकार सभी दिलाएगी , कुत्तों की बस्ती उजाला शहर में अंधेरा वो सुबह कभी तो आएगी । कुत्तों की भीड़  मिलकर शेर को खा सकती है किसी दिन ऐसी नौबत भी आ सकती है कुत्तों की हुक़ूमत दुनिया चला सकती है । राजनीति ऐसा बहुमत जुटा सकती है कोई कुतिया सभी कुत्तों को मज़ा चखा सकती है । जिस जगह छुपा हुआ कोई खज़ाना है उसी पर कुत्तों का बना ठिकाना है आदमी ढूंढता फिरता अपना आशियाना हैं ग़ज़ब ज़माना है ।
 
 
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