जून 28, 2023

ज़माने तुझे सच दिखाएं तो कैसे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

 ज़माने तुझे सच दिखाएं तो कैसे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया  ' तनहा ' 

ज़माने तुझे सच दिखाएं तो कैसे 
सियासत है कैसी बताएं तो कैसे । 
 
हुए हम भी बर्बाद बेचैन तुम भी 
ये इल्ज़ाम किस पर लगाएं तो कैसे । 
 
सभी मर चुके हैं कहां जी रहे हैं 
हैं अहसास मुर्दा जगाएं तो कैसे । 
 
चली तेज़ आंधी यहां नफरतों की 
सबक प्यार वाला पढ़ाएं तो कैसे । 
 
वो आवाज़ देने लगी फिर सुनाई 
उसे पास फिर से बुलाएं तो कैसे ।
 
नहीं भूल पाए मुहब्बत तुझे हम 
बताओ तुम्हें भूल पाएं तो कैसे । 
 
अकेले खड़े बीच बाज़ार  ' तनहा '   
है जाना किधर और जाएं तो कैसे । 
 

 



 

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