ख़्वाब में कौन मुझको है देता सदा ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '
ख़्वाब में कौन मुझको है देता सदा
है वफ़ा कुछ नहीं है जफ़ा का मज़ा ।
प्यार करना बड़ा जुर्म साबित हुआ
बज़्म में लोग सारे हैं मुझसे खफ़ा ।
चारागर ज़ख्म पर ज़ख़्म देने लगे
दर्द की कौन देता किसी को दवा ।
इस जगह मत करो बात इंसाफ़ की
ज़ुल्म ढाती सियासत की हर इक अदा ।
कौन थे वो जिन्हें मंज़िलें मिल गईं
सब रहे पूछते रास्तों का पता ।
क्या बताएं कि अच्छा बुरा कौन है
कह रहे हैं सभी हम यहां के ख़ुदा ।
फ़लसफ़ा ज़िंदगी का है ' तनहा ' नया
हम वफ़ादार हैं आप सब बेवफ़ा ।
कह रहे सभी.... खुदा👌👍 waahh
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