जून 27, 2023

ख़्वाब में कौन मुझको है देता सदा ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

 ख़्वाब में कौन मुझको है  देता सदा  ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

ख़्वाब में कौन मुझको है देता सदा 
है वफ़ा कुछ नहीं है जफ़ा का मज़ा । 
 
प्यार करना बड़ा जुर्म साबित हुआ 
बज़्म में लोग सारे हैं मुझसे खफ़ा । 
 
चारागर ज़ख्म पर ज़ख़्म देने लगे 
दर्द की कौन देता किसी को दवा । 
 
इस जगह मत करो बात इंसाफ़ की 
ज़ुल्म ढाती सियासत की हर इक अदा । 
 
कौन थे वो जिन्हें मंज़िलें मिल गईं 
सब रहे पूछते रास्तों का पता । 
 
क्या बताएं कि अच्छा बुरा कौन है
कह रहे हैं सभी हम यहां के ख़ुदा । 
 
फ़लसफ़ा ज़िंदगी का है ' तनहा ' नया 
हम वफ़ादार हैं आप सब बेवफ़ा ।  
 

 

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