यह नया दौर है हर तरफ शोर था ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया
यह नया दौर है हर तरफ शोर था
इक अंधेरा घना सा चहुंओर था ।
साए में ख़ौफ़ के जी रहे थे मगर
थम गई धड़कनें दिल ही कमज़ोर था ।
कल थे इनकी तरफ आज उनकी तरफ
क्या बताए कोई कौन किस ओर था ।
आंख खोलो नज़र रौशनी आएगी
जाएगा छट अंधेरा जो घनघोर था।
पूछना मत हुआ क्या जुदा जब हुए
मैं था उसकी पतंग वो मेरी डोर था ।
सुन के फ़रियाद उसने किया फ़ैसला
घर का मालिक है जो ख़ुद वही चोर था ।
सच कभी भी पराजित न ' तनहा ' हुआ
झूठ ने तो लगाया बड़ा ज़ोर था ।
Waahh.. झूठ ने तो लगाया बडा ज़ोर था👌👍
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