अप्रैल 19, 2023

यह नया दौर है हर तरफ शोर था ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया

    यह नया दौर है हर तरफ शोर था ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया 

यह नया दौर है हर तरफ शोर था
इक अंधेरा घना सा चहुंओर था । 
 
साए में ख़ौफ़ के जी रहे थे मगर 
थम गई धड़कनें दिल ही कमज़ोर था । 
 
कल थे इनकी तरफ आज उनकी तरफ 
क्या बताए कोई कौन किस ओर था । 
 
आंख खोलो नज़र रौशनी आएगी 
जाएगा छट अंधेरा जो घनघोर था। 
 
पूछना मत हुआ क्या जुदा जब हुए 
मैं था उसकी पतंग वो मेरी डोर था । 
 
सुन के फ़रियाद उसने किया फ़ैसला 
घर का मालिक है जो ख़ुद वही चोर था । 
 
सच कभी भी पराजित न ' तनहा ' हुआ 
झूठ ने तो लगाया बड़ा ज़ोर था ।  



 


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