अप्रैल 18, 2023

सच बोलना तुम न किसी से कभी ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया 21-07-2003

  सच बोलना तुम न किसी से कभी ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया 

सच बोलना तुम न किसी से कभी 
बन जाएंगे दुश्मन , दोस्त सभी । 
 
तुम सब पे यक़ीं कर लेते हो 
नादान हो तुम ऐ दोस्त अभी । 
 
बच कर रहना तुम उनसे ज़रा 
कांटे होते हैं , फूलों में भी ।  

पहचानते भी वो नहीं हमको 
इक साथ रहे हम घर में कभी । 

फिर वो याद मुझे ' तनहा ' आया 
सीने में दर्द उठा है तभी ।
 

 


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