अप्रैल 20, 2021

हम जिएं कैसे हम मरें कैसे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

   हम जिएं कैसे हम मरें कैसे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

हम जिएं कैसे हम मरें कैसे 
क्या करें और क्या करें कैसे । 
 
जिस्म घायल है रूह भी घायल 
ज़ख़्म ही ज़ख़्म हैं भरें कैसे । 
 
उनके झांसों में लोग आ जाते 
चाल समझे नहीं डरें कैसे । 
 
दुश्मनी उनको है ज़माने से 
लोग उल्फ़त भला करें कैसे । 
 
लोग खुद जाल में फंसे "तनहा"
दोष तकदीर पर धरें कैसे । 
 

 

 

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