सितंबर 21, 2019

POST : 1202 मॉडलिंग के दीवाने लोग ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

        मॉडलिंग के दीवाने लोग ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया 

  आज़ादी को सौ साल हो चुके हैं और शोधार्थी देश के पिछले इतिहास पर शोध कर रहे हैं । कोई तीस चालीस साल पहले के दस्तावेज़ और फोटो फिल्म वीडियो का अवलोकन कर हैरान हैं कि देश की जनता को सांसद विधायक चुनते समय जो लोग पसंद थे वो कोई नायक या देश सेवक अथवा देश की समस्याओं को हल करने के जानकार या कुछ भी बदलाव लाने के अनुभव और मकसद समझने वाले नहीं हुआ करते थे । लोग ऐसे लोगों को चुनकर सांसद विधायक बना उनको सत्ता सौंप देती थी जिनको मॉडलिंग करने वाले अभिनेताओं नायिकाओं की तरह अपने वास्तविक जीवन से बिल्कुल अलग डायलॉग और अभिनय करना आता था । मॉडलिंग की शुरुआत किसी मसाले बनाने बेचने वाले से अपनी तरह से हुई थी और उसके बाद योग करने वाले से लेकर साधु संत बने लोग मिलकर उसे और ऊंचाई पर ले गए थे । मगर इन सब को पीछे छोड़ किसी राजनेता ने हर दिन शानदार लिबास और फ़ोटोशूट करने का इक कीर्तिमान स्थापित किया था और सरकार का मुखिया बन अपनी मॉडलिंग की अदाओं से लोगों को दीवाना बना दिया था । शोध किया गया तब समझ आया उसने दिन में अठाहरह घंटे यही काम किया सजने संवरने और अलग अलग तरह के परिधान ताज पगड़ी और तन ढकने से मन की बात कहने तक किसी और काम की फुर्सत नहीं थी क्योंकि इतना सजने संवरना किस काम का अगर उसको देखने वाले लोग ही नहीं हों इसलिए हर दिन टीवी पर विज्ञापन देकर शान दिखाई सभाओं में देश विदेश में नित नये नये सैर सपाटे करते हुए शान का दिखावा किया ।

      कुछ लोगों ने स्वर्ग नर्क की कहानियां सुनकर अपनी आजीवका का साधन यही बनाकर हलवा पूरी खाने और सबको रूखी सूखी खाकर खुश रहने की बात समझाई । सत्ता वालों ने भी आसमान चांद सितारे वाले सपने बेच का धरती को अपने अधिकार में लेने का काम किया । सरकारी आंकड़े वही आकाश हैं जो दिखाई देते हैं और लुभाते हैं मगर उनका कोई अस्तित्व नहीं होता है । चांद को छू लेने की आरज़ू ख्वाहिश नासमझ लोगों को कभी वास्तविकता से सरोकार नहीं करने देती है । मॉडलिंग वाले अभिनय के माहिर होते हैं और जो कभी खुद नहीं देखा सबको दिखाने का करिश्मा करते हैं बदले में करोड़ों की कमाई करते हैं । जिन्होंने खुद कोई नियम कोई कानून कोई सामाजिक नैतिकता के मूल्य की परवाह नहीं की जिसे चाहा विवाह कर अपनी बनाया जिसे चाहा छोड़ दिया किसी और संग मुहब्बत का खेल रचाया कोई और पसंद आई तो धर्म बदल विवाह करने का मार्ग तलाश किया मगर सब मनमर्ज़ी और मनमानी करने के बाद भी शान से धन दौलत और राजनीति की सत्ता को हासिल करते तमाम मर्यादाओं को पांव तले कुचलते रहे । देश की जनता को अपने गांव शहर की बदहाली दिखाई नहीं दी मगर टीवी पर दिखाई देने वाले झूठ को देख कर तालियां बजाते रहे । शिक्षा हासिल करने के बाद भी समझ नहीं आया कि सपना और हक़ीक़त का अंतर बहुत है । सपने में अपने छप्पन भोग खाये मगर पेट खाली रहा और भूख से मरते रहे । हर राजनैतिक दल का चुनावी घोषणापत्र बस यही था ।

     लंका सोने की थी और देश भी सोने की चिड़िया कहलाता था । पुष्पक विमान रावण के पास था और राम को बनवास मिला था कथा पढ़ते रहे समझ नहीं पाए ये कैसे था और लंका में सीता अशोक वाटिका में रही मगर राम शासक बने तो अग्नि परीक्षा के बाद भी किसी धोबी के आरोप लगाने के आधार पर त्याग दिया गया सीता को बिना किसी अपराध किये ही । राजनीति का अर्थ अपने को उजला साबित करना है और हर सफल राजनेता ने विरोधी की कमीज़ को मैली दाग़दार साबित किया ताकि उसके सामने खुद अपनी चादर को साफ़ दिखाने का काम कर सके । जनता बेचारी अपनी चुनरी का दाग़ देख कर शर्माती रही कि जाकर बाबुल से अखियां मिलाऊं कैसे घर जाऊं कैसे । राजनेताओं को जांच आयोग का साबुन और अदालत की वाशिंग मशीन मिली थी जो सबको बरी कर देती थी । घोटाले हुए मगर किया नहीं किसी ने भी कोई घोटाला भी ये तो इक भयानक ख्वाब था जो भूलना चाहा सबने मगर जिनको उनकी राजनीति आती थी उन्होंने राख में कोई चिंगारी दबी संभाल के रखी ताकि फिर से हवा देकर शोला बनाया जा सके । सत्ता और सरकार का कोई दीन धर्म नहीं होता है उनको बदलते वक़्त नहीं लगता है । कोई पापी निर्दोष साबित हो जाता है दल में शामिल होकर तो कोई बिना अपराध सूली चढ़ा दिया जाता है । अच्छी हुआ करती थी पुरानी कथाएं कहानियां जो आखिर सब कुछ ठीक होता था उन में आजकल हर कथा हर कहानी अंत तक आते आते और भी खराब भयानक हो जाती है और खलनायक जैसे लोग भगवान होने का किरदार निभाते निभाते खुद को भगवान समझने लगते हैं और उनकी दहशत ऐसी होती है कि लोग समझ कर भी नहीं समझते और अपनी जान की खैर मनाने को तालियां बजाते हैं अभिनंदन करते हैं जय जयकार के नारे लगाते  हैं । अब यही कारोबार सबसे अच्छा है मॉडलिंग करने का और कोई नायिका गेंहूं की कटाई करती है हेलीकॉप्टर पर खेत में आती है सजी धजी बन संवर कर । किसान ख़ुदकुशी क्यों करते हैं ये व्यर्थ की बात है । सत्ता का खेल चल रहा है स्वर्ग पाना है तो मुझे जितवाना होगा अन्यथा आपको नर्क से कोई नहीं बचा सकता है । डायलॉग सुपर हिट अभिनय शानदार है लोग जादूगर की जादूगरी पर निहाल हैं । जादू की परियां बुला रही हैं । सीमा पर तनाव से बढ़ते बढ़ते जंग होने लगी है तब भी सुबह पार्क में देखा सज धज कर सखियां तरह तरह से भाव भंगिमा बनाकर कोई ख़ास अवसर का जश्न मनाने को वीडियो और फोटो बनाने में खोई ज़िंदगी का लुत्फ़ उठा रही थी ।   

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