नासमझ कौन है ( कविता ) डॉ लोक सेतिया
और कितनाऔर क्या क्या
और कौन कौन
और कब तक
मुझे समझाते रहेंगे
और कितने लोग ।
क्यों आखिर क्यों
आप समझते हैं
समझता नहीं मैं कुछ भी
और सब कुछ समझते हैं
सिर्फ आप
हमेशा आप ।
चलो माना
हां मान लिया मैंने
समझदार होंगे सभी लोग ।
लेकिन क्या
आपको है अधिकार
किसी को
नासमझ कहने का ।
खुद को समझदार कहने वालो
शायद पहले
समझ लो इक बात ।
किसी और को
नासमझ समझना
समझदारी नहीं हो सकता ।
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