ये दिल हर किसी को दिखाएं तो कैसे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '
ये दिल हर किसी को दिखाएं तो कैसेहै वीरान कितना , बताएं तो कैसे ।
हमीं जब नहीं ख़ुद मुहब्बत के काबिल
नज़र को नज़र से मिलाएं तो कैसे ।
कहां ढूंढते हो फ़रिश्ते ज़मीं पर
ज़मीं आस्मां पास आएं तो कैसे ।
यही आख़िरी सांस हम जानते हैं
किसी चारागर को बुलाएं तो कैसे ।
ख़ुदा से ख़ुदाई नहीं मांगते हम
हां उन से रसाई भी पाएं तो कैसे ।
घड़ी आ गई जब विदा हो रहे हैं
बताओ ज़रा मुस्कुराएं तो कैसे ।
जिसे भूलना लाज़मी शर्त ' तनहा '
कहानी वो सबको सुनाएं तो कैसे ।
Waahhhhh
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