अगस्त 22, 2012

POST : 67 हम तो जियेंगे शान से ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

हम तो जियेंगे शान से ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

हम तो जियेंगे शान से
गर्दन झुकाये से नहीं ।

कैसे कहें सच झूठ को
हम ये गज़ब करते नहीं ।

दावे तेरे थोथे हैं सब
लोग अब यकीं करते नहीं ।

राहों में तेरी बेवफा
अब हम कदम धरते नहीं ।

हम तो चलाते हैं कलम
शमशीर से डरते नहीं ।

कहते हैं जो इक बार हम
उस बात से फिरते नहीं ।

माना मुनासिब है मगर
फरियाद हम करते नहीं ।
 

 

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