अगस्त 22, 2012

POST : 68 सब से पहले आपकी बारी ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

सब से पहले आपकी बारी ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

सब से पहले आप की बारी
हम न लिखेंगे राग दरबारी ।

और ही कुछ है आपका रुतबा
अपनी तो है बेकसों से यारी ।

लोगों के इल्ज़ाम हैं झूठे
आंकड़े कहते हैं सरकारी ।

फूल सजे हैं गुलदस्तों में
किन्तु उदास चमन की क्यारी ।

होते सच , काश आपके दावे
देखतीं सच खुद नज़रें हमारी ।

उनको मुबारिक ख्वाबे जन्नत
भाड़ में जाये जनता सारी ।

सब को है लाज़िम हक़ जीने का
सुख सुविधा के सब अधिकारी ।

माना आज न सुनता कोई
गूंजेगी कल आवाज़ हमारी । 
 

 

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