नकली होशियारी झूठी यारी ( खरी-खरी ) डॉ लोक सेतिया
जब पहली बार नकली होशियारी अथवा ए आई ( artificial intelligence ) का पता चला तभी मैंने तय कर लिया था इस नामुराद से बच कर रहना ज़रूरी है । होशियारी से अपना यूं भी कभी कोई नाता नहीं रहा है , सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी सच है दुनिया वालो कि हम हैं अनाड़ी । लोग भले चाहते हैं सब कुछ आसानी से पलक झपकते हो जाये बस किसी अलादीन के चिराग़ से निकले जिन को आदेश देते असंभव भी संभव हो जाये । हमको मुश्किल राहों से उलझनों परेशानियों से गुज़र कर कुछ भी हासिल करना अच्छा लगता है नाकामियों से घबराना नहीं आता हमको । कागज के फूल हुआ करते थे अब प्लास्टिक से बने मिलते हैं और हमने इंसानों में भी पत्थर जैसे लोग देखे हैं जो हमेशा खूबसूरत दिखाई देते हैं लेकिन कुछ भी खुशबू नहीं बांटते नकली फूल । अभी तक दुनिया समझती समझाती थी नकली से बचना चाहिए ये क्या हुआ जो लोग नकली होशियारी पर ऐसे फ़िदा हैं । बताते हैं ये सब कर सकता है उसको कहोगे तो कुछ भी लिख देगा किसी भी की आवाज़ की हूबहू नकल करेगा जाने क्या क्या । लेकिन जानकारी लेने पर पता चला कि उस में जो भी सामिग्री जानकारी सूचनाएं भरी गई होती हैं उन्हीं से अंदाज़े से आपकी वांछित बात देता है । इसको समझदारी नहीं चालाकी चतुराई कहना चाहिए क्योंकि कंप्यूटर या मशीन खुद कुछ भी सृजन नहीं करती हैं केवल वही करती है जिस के लिए इंसान ने उसे बनाया हुआ है ।
ऐसे ढंग से कोई आपको अनाज फल खाने पीने की चीज़ें रोटी सब्ज़ी बनाकर प्रस्तुत कर भी दे तब भी आप उस को खा नहीं सकते , भविष्य में आपको मानसिक रोगी बना सकता है ये । सोचो आपको भूख लगी हो मगर ये नकली होशियारी आपको बताये कि आपका पेट अब भर चुका है ऐप्प पर देख सकते हैं । अभी इस को लोग उपयोग करने ही लगे थे कि कितनी ऐप्प्स बाज़ार में आ गई इनकी वास्तविकता को परखने को , अब उनसे जानकारी ली जाने लगी है कि नकली होशियारी से बनी हुई झूठी चीज़ है । अभी तो सरकार उसका उपयोग करने की बात सोचती हो शायद मगर बाद में लोग समझ सकते हैं कि चलो सरकार नेता सभी का कोई भरोसा नहीं रहा चलो इस के सहारे देश की व्यवस्था चलाते हैं । योजनाएं बजट सब इस से बन जायेगा और उनसे अधिक भरोसेमंद क्योंकि मशीन को रिश्वत भाईचारा स्वार्थ और जालसाज़ी की ज़रूरत नहीं होगी । लेकिन शोध कर्ता बताते हैं जब इसी से लिखवाई बात को कुछ दिन बाद इसी को परखने को कहा तो इस ने जवाब दिया ये किसी मूर्ख की समझाई गलत बात है । ऐसे एक दिन इस में जब कोई वास्तविक नई सही जानकारी नहीं भरी जाएगी क्योंकि हमने सब इस के हवाले कर दिया होगा खुद चैन की बंसी बजाते होंगे तब इस में कुछ नहीं बचेगा केवल कचरा मिलेगा । दुनिया में पहले भी ऐसा होता रहा है चतुर सुजान बनकर कुछ लोग अपना कचरा कूड़ा कर्कट अन्य देशों को बेच कर अपनी मुसीबत से छुटकारा पाते हैं साथ में कमाई भी करते हैं । बड़े बज़ुर्ग कहते थे हम चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती फिर इसका तो नाम ही artificial intelligence है मतलब नकली का प्रमाणपत्र सलंगन है । झूठी यारी बड़ी बिमारी होती है ।
AI पर अच्छा आलेख...झूटी हुशियारी भारी पड़ सकती है
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