सितंबर 28, 2024

POST - 1895 नई पहचान उनकी ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

             नई पहचान उनकी ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया  

कुछ साल पहले उनको कुत्तों से कोई लगाव नहीं था कभी किसी कुत्ते को रोटी का टुकड़ा नहीं डाला घर पर रखने का कोई ख्याल ही नहीं आया । सुरक्षा को प्रबंध किया हुआ था और चाटुकारिता करने वाले इंसान थे उनके तलवे चाटने को पांव की धूल से जूतों की गंदगी साफ करने चमकाने को । किसी और गली का कुत्ता था जो उनसे परिचित नहीं था तभी उन पर भौंकने लगा अपने दुस्साहस का नतीजा उसकी जान जाना , बेमौत मर जाना था । इक मामूली सी घटना इतनी बड़ी खबर बन गई कि शहर भर के तमाम कुत्ते संगठित हो गए थे , बात बढ़ते बढ़ते राज्य की राजधानी तक पहुंची थी कि उनकी गाड़ी ने उस कुत्ते को कुचला था । जब चर्चा दिल्ली तक जा पहुंची तो उनको समझदारी से काम लेना ज़रूरी प्रतीत हुआ और कुत्तों से वार्तालाप कर खेद प्रकट करने से कुत्ते की आत्मा की शांति के लिए सभा आयोजित कर मुवावज़ा देने की घोषणा की थी । कुत्तों को लगा जैसे उन्होंने जंग का मैदान जीत लिया है जबकि वास्तविकता कुछ और थी कितनी बार समझौता वार्ता करते हुए उनको कुत्तों के स्वभाव की परख हो गई थी । कुत्तों को हड्डी और अन्य खाने पीने को टुकड़े डालने से खामोश करना अपने तलवे चाटने की आदत डालना सीख लिया था । उन्होंने तय कर लिया था कुत्तों को पालना बेचना खरीदना इक बड़ा कारोबार बन सकता है उनके लिए राजनीति के साथ साथ । 
 
उन्होंने कुत्तों का इक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जिस में बहुत सारी घोषणाएं की गई , कुत्तों को शानदार जीवन उज्जवल भविष्य की योजना से अवगत करवाया गया उनको कुछ विशेषाधिकार प्रदान करने की भी शुरुआत की गई । पंचतारा होटल में सभी को आमंत्रित किया गया और उपहारों से मालामाल किया गया , जो अभी नहीं पहुंचे उनको गाड़ियां भेज लाने का प्रबंध किया गया । कुत्ते अपने आप को धरती से आसमान पर होने का सुखद अनुभव महसूस करते रहे । कुत्तों को अपने जानकर बंधुओं को संदेश भेज बुलाने का भी अवसर उपलब्ध करवाया गया । कुत्तों ने उनकी जय-जयकार करने की शुरुआत करते हुए संकल्प लिया अपनी निष्ठा उनके प्रति बनाये रखने का । सभी कुत्ते शाही महमान हैं कोई भूखा प्यासा नहीं सब को जो चाहिए बिना मांगे मिलने लगा है , खामोश हैं सभी कोई किसी पर भौंकता ही नहीं । पहली बार सभी कुत्ते आपसी मतभेद को एक तरफ रख कर किसी की चाटुकारिता और समर्थन से गुणगान बचाव करने को साथ साथ खड़े हैं । कोई उनको भगवान लगता है क्योंकि उनका जीना सफल हुआ उसी की शरण आकर । 
 
अचानक किसी महानगर से इक महत्वपूर्ण संदेश मिला है , जिस में आग्रह  किया गया है कि इंसानों से सावधान रहना चाहिए । मतलबी लोग आपको इस्तेमाल करते हैं और आपको आदमी जैसा बना कर आपकी वास्तविक पहचान मिटाने लगे हैं । लोग अब कुत्तों की वफ़ादारी और रखवाली का भरोसा नहीं करते हैं , धीरे धीरे कुत्तों की ज़िंदगी का मकसद छूट रहा है । कुत्तों का कुत्तेपन का त्याग किसी अनहोनी का अंदेशा है , उस संदेश ने सभा में उपस्थित सभी कुत्तों का मूड ही खराब कर दिया है पार्टी का मज़ा किरकिरा हो गया है ।  लेकिन आलोचना से घबरा कर अपने बढ़ते हुए कदम वापस नहीं ले जा सकते हैं इसलिए उस संदेश की कड़ी निंदा का प्रस्ताव पारित किया गया है । कोई भी कुत्ते की मौत नहीं मरना चाहता सभी ऐशो आराम से राजसी जीवन का आनंद उठाना चाहते हैं । सभी को अपने अपने गले में बंधे पट्टे और कीमती मज़बूत जंज़ीर से लगाव और प्यार हो गया है आवारा कहलाना नहीं चाहता कोई भी पालतू होना शर्म की नहीं गौरव की बात समझी जाने लगी है बिरादरी में कौन कितना अधिक कीमत पर बिकता है ये महत्वपूर्ण लगता है । जैसी भी है उनकी नई पहचान यही है सभी जानते हैं कौन किसी को कुछ कहेगा जब सभी एक समान हैं । हर कुत्ते की आन बान शान है सब उसी के हैं ऐसी पहचान है ।  
 
 क्या कुत्तों को कॉलर पहनना पसंद है? यह क्यों मायने रखता है?

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