मार्च 27, 2024

छाई हुई घटा घनघोर है ( हास्य-कविता ) डॉ लोक सेतिया

    छाई हुई घटा घनघोर है ( हास्य-कविता ) डॉ लोक सेतिया 

चोर सबको कहता लुटेरा अजब तौर है  ,
देश की सियासत का यही नया दौर है । 
 
अब अंधेरे उजालों को समझाने लगे हैं 
बंद आंखों से देख समझो हो गई भौर है ।
 
सबको ये तमाशा लाज़मी देखना होगा 
हम्माम में सभी नंगे है ये तो हर ठौर है ।
 
इक पहेली है सच क्या और झूठ क्या 
लबों पर है कुछ दिल की बात और है ।  
 
हमने इरादा किया बनाएंगे राह इक नई 
फुर्सत मिले सोचते हैं काबिल ए गौर है ।  
 
शहंशाह को भूख है जो मिटती ही नहीं है
छीन लो गरीबों से हाथ अगर इक कौर है ।  

उनका दस्तूर है सब परस्तिश उनकी करें 
उनकी मर्ज़ी जो चाहें वही ख़ुद सिरमौर है । 
 
खुद मसीहा है हर गुनाह उसका मुआफ़ है 
जो है उसका मुख़ालिफ़ शख़्स वो चोर है । 


इस तरह यीशु मसीह की भविष्यवाणी "मैं चोर के समान आता हूँ" पूरी होती है
 
 

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