ख़्वाब तो ख्वाब थे अब ताबीर दिखा दो ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया
ख़्वाब तो ख़्वाब थे अब ताबीर दिखा दो
खूबसूरत नई इक तस्वीर बना दो ।
रहनुमा किस तरह सब बर्बाद हुआ है
अब छुपाओ नहीं कुछ सब साफ़ बता दो ।
राम का राज कहते रहते सब रावण
ज़ालिमों के महल की बुनियाद हिला दो ।
आप कछुए नहीं हम ख़रगोश नहीं हैं
इस नये दौर के कुछ किरदार पढ़ा दो ।
तुम खिलाना मुहब्बत के फूल हमेशा
दोस्तो नफ़रतों को मत और हवा दो ।
रौशनी को घटाएं क्या रोक सकेंगी
बन के सूरज अंधेरों को जड़ से मिटा दो ।
सबको आता यहां पर बस आग लगाना
आप बारिश करो ' तनहा ' आग बुझा दो ।
Waahh bahoot khooob
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