नवंबर 17, 2022

भारत सरकार को ज़रूरत है ( कटाक्ष ) डॉ लोक सेतिया

     भारत सरकार को ज़रूरत है ( कटाक्ष ) डॉ लोक सेतिया 

कितने साल हो गए हैं  देखते सुनते , सोचा ही नहीं समझा ही नहीं भारत देश को आर्थिक दशा भूख गरीबी तमाम जनता की बुनियादी ज़रूरतें ख़्वाहिशें मनोकामनाएं आरज़ूएं सपने पूर्ण करने को आवश्यकता है तो बस इक विभाग की       ' करोड़पति बनने बनाने के खेल की '  अमिताभ बच्चन जी हैं इस सब की परिभाषाएं समझने वाले विभाग उन्हीं के हवाले किया जाना उचित होगा । उनको अगर  सरकार कहेगी तो वो अवश्य मान ही जाएंगे , सदी के महानायक कहलाने वाले । चलो शायद इसी बहाने देश समाज को कुछ वास्तव में सार्थक उन्होंने दिया भी है उसका भी प्रमाण भी उपलब्ध होगा , अन्यथा अभी कोई नहीं जानता उनका देश समाज को सकारात्मक योगदान क्या है । जब भी उनका खेल टीवी पर देखते हैं लगता है हम अपनी दुनिया से अलग किसी दुनिया में हैं जहां सब वास्तविकता से विपरीत सुनहरा रंगीन और लाजवाब है । दर्शक तक जिनको शो में साक्षात दर्शन का सौभाग्य मिल गया होता है अपना जीवन सफल हुआ समझते हैं जिस प्रतिभागी को साहब के सामने बैठने का मौका मिलता है खुद जनाब इशारों में समझाते हैं दुर्लभ है बार बार क्या जीवन में दोबारा नहीं मिलता है । यकीन करें डेढ़-दो घंटे तक सभी सम्मोहित रहते हैं इक जादूगर का जादू अपना असर दिखलाता है तो बाहरी सारी दुनिया व्यर्थ की लगने लगती है । कुछ क्षण कुछ पल सब परेशानियां सारे दुःख दर्द उड़नछू हो जाते हैं । अक्सर लोग कहते हैं अमिताभ बच्चन जी से मिले बात की उनके करीब बैठे स्वर्ग-सुख़ की अनुभूति हो गई उसके बाद कुछ हासिल करने को बचा ही नहीं मगर पैसा फिर भी पैसा है लक्ष्मी का आदर करना चाहिए बस इसी ख़ातिर सवाल जवाब होते हैं अन्यथा तथाकथित हॉटचैयर पर बैठना सिंहासन पर विराजमान होने से कम नहीं है । खिलाड़ी और खेल खिलाना वाला दोनों जतलाते बतलाते रहते हैं कि ऐसा होने से किसी की काबलियत का लोहा मान लेते हैं सभी मान सम्मान प्रतिष्ठा बढ़ जाती है और व्यक्ति सातंवे आसमान पर होने का गर्व गौरव अनुभव करता है । 

  सबकी कहानी अलग अलग मिसाल होती है हर शाम कमाल से बढ़कर कमाल होती है । सबकी मुहब्बत जवान होती है खिला हुआ लाल गुलाब या कोई रेशमी रुमाल होती है । कुछ सवाल पर पर्दादारी है क्या ये खेल सच है फरेब है कोई हक़ीक़त है या छल है कहीं ये कोई लाईजाज रोग है मानसिक बिमारी है । कितने आबाद हुए कितने हुए बर्बाद आज किस की कल किस की आनी बारी है । मुझे ही नहीं मुमकिन है और भी तमाम लोगों को लगता होगा कि हमारी समझ और काबलियत पर सवालिया निशान है आज तलक केबीसी में चयन नहीं होना किसी अवगुण से कम नहीं है । टीवी चैनल और शो प्रस्तुतकर्ता का यकीन है कि हर समस्या का समाधान उनका खेल है देश की जनता की सभी चिंताओं आर्थिक परेशानियों से व्यक्तिगत तक का हल संभव है उनके मायाजाल में शामिल होकर । नौकरी कारोबार नहीं खेल खेल में धनवान बनने की बात होती थी लेकिन आजकल खेल को अलविदा कह चुके खिलाड़ी विज्ञापन से पैसा कमाते हैं और अपने प्रशसंसकों को पैसा बाज़ार की राह दिखलाते हैं और क्या क्या खरीदने को कहते हैं भले उनके घर खाने को दाने नहीं हों अम्मा चली भुनाने कहावत चतिरार्थ करते हैं । देश की महानता सरकारी योजनाओं का गुणगान करने वाले नहीं बताते आज़ादी के इतने साल बाद गरीबी बदहाली क्यों है अधिकांश जनता के लिए जबकि कुछ ख़ास लोगों के लिए धन दौलत नाम शोहरत ऐशो-आराम सब मुंहमांगी मुरादें मिलती हैं । जबकि इन सभी ने कभी शायद केबीसी खेल खेला क्या देखा भी नहीं होगा , तो क्या ये इक छल है झूठा दिलासा झूठे सुनहरे ख़्वाब दिखला कर उलझाए रखने को । 
 
  लेकिन अगर ये रामबाण तरीका है तो चलो यही सही इक विभाग इक मंत्रालय देश की राजधानी से है शहर नगर गांव की गली गली इसका प्रंबध करवा कर नया कीर्तिमान स्थपित किया जाना चाहिए । आधुनिक युग में कुछ भी मुमकिन है संभव हो सकता है इक ऑनलाइन ऐप्प की मदद से । 
 
 यहां हो मछली का निशान तो सम्मान और पैसा दोनों मिलेंगे

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