अगस्त 08, 2021

हां मैं शून्य हूं ( शुरुआत से आखिर तक ) डॉ लोक सेतिया

    हां मैं शून्य हूं ( शुरुआत से आखिर तक ) डॉ लोक सेतिया 

यही सच है सबने मुझे ज़ीरो समझा है हीरो बनना भी नहीं चाहता क्योंकि हीरो नायक कहलाने को बेताब लोग भी होते भीतर से खोखले हैं। ज़ीरो की कीमत कोई नहीं समझता मगर शून्य की अहमियत समझना बेहद ज़रूरी है आपकी संख्या में जोड़ने घटाने से अंतर नहीं पड़ता फिर भी बड़े काम का होता है एक के बाद लगाने से दस बना देता है तो करोड़ से गुना करने पर करोड़ को ज़ीरो भी बनाता है। जब तलक अपने मुझे जाना समझा पहचाना नहीं आपके जीवन का गणित उत्तीर्ण नहीं हो सकता है। विश्व का आदि और अंत शून्य ही है संसार की हर शय का यही अफसाना है शून्य से आना शून्य में विलीन हो जाना है। मुझे आपको अपनी कहानी नहीं सुनानी आपको आपकी कथा से मिलवाना है। 
 
बात उनकी करते हैं जिनकी संख्या असंख्य समझी जाती है बड़े लोग धनवान शासक अधिकारी राजनेता उपदेशक उद्योगपति शिक्षक विद्वान महान कहलाने वाले। सौ साल जीने के बाद आखिर शुरुआत के भार के मिट्टी बनकर रह जाते हैं। सिकंदर खाली हाथ आये थे खाली हाथ जा रहे कह जाते हैं। छोटा सा आकार लेकर आये थे विस्तार पाकर आकाश तक पहुंचे मगर मिट्टी से मिट्टी तक का सफर ज़िंदगी है। शायद इस से बड़ा मज़ाक कोई नहीं हो सकता कि हर कोई जीते जी मरता है सोचता है मौत के बाद ज़िंदा रहना है। जब हमीं न रहे तो रहेगा मज़ार क्या , पागलपन है मरने के बाद ख़त्म कहानी की चर्चा करते हैं ज़िंदगी की सच्ची कहानियों को नहीं समझते हैं। आपने जीवन भर जो भी किया अपने मकसद की खातिर किया कभी कुछ भी बिना स्वार्थ किया ही नहीं कभी अपने पराये की बात कभी कोई विवशता का बहाना बनाकर मानवता के कर्तव्य को अनदेखा किया। आपको बदले में कुछ चाहिए कोई सुख कोई सुविधा कोई मोल अन्यथा क्यों किसी को कोई सहयोग देना , मानव होना मानवता की राह चलना पड़ता है। आदमी इंसान नहीं बना कभी हैवान कभी शैतान बन जाता है। सिर्फ खुद की खातिर जीना ज़िंदगी का मकसद नहीं हो सकता है जीना सार्थक होता है जब आदमी आदमी के काम आये अन्यथा हमारा होना नहीं होना एक समान है। 
 
मुझे शून्य होना अच्छा लगता है किसी को बदले में कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ती है। सभी को उपलब्ध होता हूं हमेशा जब ज़रूरत हो उपयोग कर सकते हैं। आपकी संख्या बढ़ जाएगी मुझे अपने पीछे खड़ा कर और इक बार नहीं बार बार कर सकते हैं। शून्य को बेकार मत समझो उसको अपना लो , हां शून्य हूं मैं। तकरार छोड़ो मुझसे प्यार कर लो। बस एक बार मेरा भी ऐतबार कर लो।


जानिए संख्या शून्य /"0" का रहस्य! - Who Discovered Zero And It's  Significance – Vigyanam

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