अक्टूबर 21, 2020

कोरोना रावण और उसके संबंधी ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

     कोरोना रावण और उसके संबंधी ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

     सभी उसकी दवा या उपचार अथवा उसको ख़त्म करने को वैक्सीन ढूंढते रहे और मैं चिंतन मनन करता रहा ध्यान लगाता रहा उसको समझने उसका साक्षात्कार करने के लिए। जो मुझे मिला आपको बताना है मानो चाहे नहीं मानो उसका रिश्ता बहुत पुराना है किसी का दादा किसी का परदादा किसी का लकड़दादा किसी का सगा संबंधी किसी का नाना है। आपने अपने आप को कभी समझा है कभी जाना है कभी खुद को पहचाना है। आपको आज कोरोना के परिवार से मिलवाना है। 
 
       क्या आपको जो लोग भाते नहीं अच्छे नहीं लगते नापसंद हैं आप उनको इस दुनिया में जीने नहीं देना चाहते उनसे इस कदर नफरत करते है कि आपका बस चले तो उनको जीने ही नहीं दें। और आप यही करते हैं जो कमज़ोर हैं उनको बर्बाद करते हैं जिनका आप कुछ नहीं बिगाड़  सकते उनसे बचते हैं डरते हैं उनके अंत की मन ही मन कामना करते हैं। फिर तो आप कोरोना ही हैं उस की संतान हैं जो किसी का सगा नहीं है जिसने उसको बनाया उसी को सबसे पहले कोरोना ने सताया तभी उस को समझ आया बनाकर पछताया। ईश्वर ने सभी को अलग तरह से बनाया है किसी को किसी जैसा नहीं बनाया है ये उसकी माया है सभी को जीने का सबक यही सिखलाया है जिओ और औरों को भी जीने दो आपने इसको नहीं आज़माया है। कौन आपका अपना है कौन यहां पराया है ये सुबह और शाम की बात है चढ़ता सूरज है ढलती छाया है। 
 
   कोरोना को कब से इंतज़ार था उसका युग आजकल आया है जिधर देखो ऐसे लोगों ने कोहराम मचाया है जो उनको नहीं भाते जिनसे वो सहमत नहीं उनको क्या क्या नहीं कहा कितना बदनाम किया कितना बुरा बताया है। ये असहमति को स्वीकार नहीं करने वाले खुद कोरोना से बढ़कर हैं उनकी नफरत किसी ज़हर से बढ़कर है। लेकिन ज़हर के असर उन पर भी होता है जो ज़हर बनाते हैं ज़हर बांटते हैं उनके भीतर ज़हर रहता है उनको खोखला करता है। ज़हर नफरत कोरोना बढ़ता जाता है ख़त्म नहीं होता सभी को खत्म करता है अंत में खुद बेअसर हो जाता है। कोरोना का असर कम होने लगा है कोरोना अपने जैसे नफरती लोगों को भी होने लगा है। रावण की तरह उसका अहंकार उसी को डुबोने लगा है। अच्छे अच्छे शासकों को औकात बताई है कोरोना उनका बाप दादा है बड़ा भाई है जमकर लाठी चलाई है सामने कुंवां है पीछे खाई है। खुद इन्हीं लोगों ने ये आफ़त बुलाई है। 
 
   सुनो समझो कोरोना जैसे विचार स्वभाव वालो सभी को ख़त्म करने का ख्वाब मत पालो बचना है जो खुद अपने को बचालो। अरे ओ शीशे के घर में रहने वालो हर किसी पर मत पत्थर उछालो सिकंदर कलंदर सभी चले गए दुनिया से रावण अभी ज़िंदा आप में छिपा हुआ है कोई पुतला मत जलाओ उसको अपने भीतर से निकालो। किसी और को ख़त्म करने से पहले अपने अंदर झांको नफरत वाले कोरोना को मार डालो जिओ और सभी को चैन से जीने दो सबक सीख लो उसे आज़मा लो। उनको ये रोग लगता देखा जो टीवी पर कोरोना से बचने और अपनी इम्युनिटी बढ़ाने की दवा टॉनिक का गुणगान करते थे पता चला वो धर्म वालों की तरह उपदेश देते थे उपदेश देना उनकी कमाई का साधन है उनको ऐसे किसी टॉनिक पर खुद भरोसा नहीं था। हर कोई आजकल आपदा को अवसर बनाने में लगा है खुद बचना ज़रूरी नहीं औरों को बचने की बात समझाने लगा है। 

  इंसान इंसान से घबराने लगा है झूठे सच्चे बहाने बनाने लगा है। दिल से सभी से दूरी बढ़ाने के बाद आजकल फासले बढ़ाने लगा है जिनसे मतलब उनके साथ मिलने मिलाने निभाने लगा है बाकी को मज़बूरी समझाने लगा है। ज़माना बदलने लगा है नये तौर अपनाने लगा है गले नहीं मिलते हाथ नहीं मिलाते बहुत दूर से हाथ हिलाने लगा है समझ लो कोई करीब से बड़ी दूर होना चाहता है छोड़ कर जाने लगा है। कोरोना कितने काम आने लगा है कोई गीत याद आने लगा है। जाना था हमसे दूर बहाने बना लिए , अब तुमने कितनी दूर ठिकाने बना लिए।
 
   

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