अक्टूबर 20, 2020

बेमतलब की बात कहता हूं ( सच्ची बात ) डॉ लोक सेतिया

    बेमतलब की बात कहता हूं ( सच्ची बात ) डॉ लोक सेतिया 

मतलबी दुनिया में रहता हूं मैं मगर बेमतलब की बात कहता हूं। कोई माने चाहे न भी माने लोग अब कुछ भी बिना स्वार्थ करते नहीं हैं। मंदिर तक भगवान के घर जाते हैं तब भी मकसद आस्था ईबादत नहीं कुछ और होता है कुछ मांगना है कुछ मिला है उसका आभार जताना है ताकि और मिलता रहे या कोई चिंता परेशानी है खुद जिस का समाधान करना नहीं ईश्वर पर दायित्व छोड़ते हैं तुम्हारा भक्त हूं तुझे ही करना है। भगवान देवी देवा अल्लाह वाहेगुरु जीसस से अपना हाल सभी बताते हैं कभी किसी ने उसका हाल चाल पूछा क्या समझना चाहा क्या जानने की कोशिश की कभी। कोई नहीं जानता खुद ऊपरवाला किस हाल में रहता है है भी कि नहीं बचा हमने उसको ख़त्म कर दिया है। आपको रोज़ वही बात सुनकर उसी इक जगह रहकर मीठा मीठा खाकर लगता है बस कुछ बदलाव होना चाहिए इस से तंग हो गए हैं उसको कितनी बार वही बातें वही भजन आरती वही रटी रटाई बात कब तक सहना होगा। कह भी नहीं सकता कितनी बार हुआ अब बस भी करो कुछ तो बदलना चाहिए , उसकी तकदीर में कोई बदलाव नहीं सभी अपनी तकदीर बदलवाने की चाह रखते हैं। 
 
  अब समझते हैं आपकी इस मतलबी खुदगर्ज़ दुनिया की बात। कोई बिना मतलब किसी के घर नहीं आता जाता सच बताता हूं मुझे ये खराब आदत थी किसी से मिलने को जी चाहा मिलने चला जाता। मिलते ही पहला सवाल यही पूछते कोई काम है आपने फोन किया क्यों कुछ ज़रूरत है यूं ही कह दिया माता जी नज़र नहीं आई तो पूछते हैं उनसे क्या काम है। सच तो ये है लोग मानते ही नहीं बिना मतलब कोई किसी से प्यार लगाव भी रख सकता है। आजकल की दुनिया में ऐसा करना मूर्खता होगा। अब मेरी आदत छूट गई है वर्ना आये दिन किसी न किसी को किसी न किसी बहाने फोन करता रहता था दोस्त से मिलने चला जाता था। खैर अब कोई दोस्त कोई अपना है भी नहीं जिस से बेतक़ल्लुफ़ मिलने बात करने का हौसला हो। अब डरते हैं बिना बात दिल की बात कहने से ताल्लुक ही नहीं बिगड़ जाये। सोचकर बोलना पड़ता है औपचारिकता निभाने की ज़रूरत होती है। 
 
राजनेता समाजसेवी कहलाने वाले या कोई भी कारोबार करने वाले कभी किसी के पास किसी जगह बिना मतलब किसी की समस्या समझने सुलझाने नहीं जाते हैं हर कोई जाकर अपना कोई न कोई हित साधना चाहता है। किसी को नाम शोहरत किसी को अपनी मंज़िल पाने को सीढ़ी बनाकर इस्तेमाल करना किसी को मेलजोल बढ़कर बाद में फायदा उठाना किसी को हमदर्दी का दिखावा कर खुद को महान कहलाना किसी को अपनी किसी संस्था संगठन में पद हासिल करना या अपने एनजीओ के लिए चंदा जुटाकर उस से सुख सुविधा की ज़िंदगी जीने शान बढ़ाने के उपाय करना। क्या क्या कहें किस किस की बात की जाये इस से अच्छा है खुद से मिला जाये खुद दिल से दिल की बात की जाये। रोज़ सुबह से दोपहर दोपहर से शाम शाम से फिर रात की जाये। आज यही सोचा कोई बेमतलब की बात की जाये।

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