मेरी भी कहानी है ( विमर्श ) डॉ लोक सेतिया
कहानी तो सबकी होती ही है और सबकी कहानी बाकी लोगों से थोड़ी अलग भी और कुछ कुछ मिलती जुलती सी भी हुआ करती है। कई बार कोई अपनी बात बताता है तो लगता है यही कभी मेरे साथ भी बीत चुका है। साहित्य जिस भी विधा में लिखा हुआ हो जब पाठक को कविता ग़ज़ल कहानी खुद के साथ जुड़ी हुई लगती है तभी लोगों को पसंद आती है और याद रहती है हमेशा। हम कोई उपन्यास पढ़ते हैं फिल्म देखते हैं या कोई रचना पढ़ते हैं और उसके किरदार को खुद से जुड़ा महसूस करते हैं तब भीतर दिल से अपने जीवन के अतीत में खो जाते हैं। मुझे कई बार कुछ गीत सुनकर लगता है जैसे मेरी वास्तविकता है या किसी फ़िल्मी किरदार में अपनी छवि देखते हैं। अपने सोचा है कोई गीत आप बार बार सुनना चाहते हैं फिल्म बार बार देखना चाहते है कहानी के डॉयलॉग आपको कभी नहीं भूलते हैं ऐसा केवल पसंद होने से नहीं होता है कोई नाता कहीं जोड़ता है। हम जो किसी को समझा नहीं सकते बताना कठिन होता है या बताना चाहते नहीं उस को ऐसे देख कर पढ़कर लगता है कोई राज़दार मिल गया है। कला आपको अच्छा इंसान भी बनाती है और हर हालात में जीना भी सिखलाती है। मानवीय संवेदना होना ही जीना है और संवेदन शून्य लोग भावना को नहीं समझने वाले पत्थर जैसे होते हैं। पत्थर से आपको कोई संवेदना नहीं मिलती है इसलिए इंसान की इंसानियत उसको पत्थर नहीं होने देती।
बच्चों को मां दादी नानी कहानियां सुनाया करती थी रात को परियों की सितारों की चांदनी की फूलों की नगरी की। स्कूल की शिक्षा से कम सोचने की समझने की शक्ति को विकसित नहीं करती थी। आपको सपने देखना ही नहीं सपने बुनना भी आता है तो सपने सच करने की ऊर्जा भी होती है। कभी जब भी जीवन में निराशा छाने लगती है तब अपने पुराने ख्वाबों में खो जाना आपको साहस देता है। डायरी लिखना अच्छी आदत हुआ करती थी जो शायद खो गई है सोशल मीडिया आपको वो एहसास नहीं दे सकता है। आप अपने आप से संवाद करना छोड़ कर खुद से अजनबी हो जाते हैं। ऐसा भी होता है कोई कभी आपको आपके साथ मिलवाता है कोई व्यक्ति दोस्त या कोई घटना या कोई कहानी फ़साना कुछ भी हो सकता है। आप इतनी बड़ी दुनिया में हज़ारों लोगों से पहचान कर सकते हैं मगर फिर भी अकेलापन लगता है तो आपको अपने आप से मुलाकात करनी ज़रूरी है। ये अचरज की बात है हम तमाम लोगों के बारे सब कुछ जानते हैं और जो नहीं जानते मालूम करने को उत्सुक रहते हैं पर खुद को लेकर नहीं सोचते कि हम क्या हैं कैसे हैं क्यों हैं। सोचो औरों की ही तरह मेरी भी इक अपनी कहानी है। आपकी कहानी जो भी हो बहुत अच्छी है और सच्ची है जिस में कोई काल्पनिक बात नहीं है।
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