सर्वेक्षण सेल्फी और पति की कीमत ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
सर्वेक्षण इक कारोबार है , सर्वेक्षण केवल चुनावों के ही नहीं किये जाते। जिनका धंधा है सर्वेक्षण करने का , कोई उन से जो चाहे सर्वेक्षण करवा सकता है। कोई भी सर्वेक्षण मुफ्त में नहीं होता , इस धंधे में कोई भाईचारा काम नहीं आता। एक हाथ दो दूसरे हाथ लो का नियम है , घाटे का व्योपार यहां नहीं होता। इधर दो बातें प्रचलन में हैं इक सेल्फी लेना दूसरी ऑनलाइन बेचना खरीदना। नई क्या पुरानी हर चीज़ बिकती है , किसी ने चेतावनी दी कि आपकी धर्मपत्नी आपकी फोटो ले रही हो तो संभल जायें , कहीं ऐसा नहीं हो कोई ओ एल एक्स पर मोलभाव कर रहा हो। आपको खबर तक नहीं हो और आपका सौदा तय हो चुका हो। पति अपनी पत्नी को जुए में दांव पर लगाते रहे हैं ये इतिहास पुराना है। कुछ साल पहले इक फिल्म में सहनायिका नायिका से उसके शादीशुदा पति का सौदा दो करोड़ में कर लेती है। सहसा यकीन नहीं होता , अपने पति परमेश्वर को बेच सकती कोई पत्नी खुद सौतन ला सकती घर। मगर पता चला फिल्मों से प्रेरित होकर जाने लोग क्या क्या नहीं करते। इक कंपनी जो सर्वेक्षण करवाती है को लगा ये नया आईडिया उसको खूब लोकप्रिय कर सकता है , और उस ने हमसे इक गोपनीय तरीके से ये सर्वेक्षण करने को कहा। हमने भी गोपनीयता की शपथ खाई सर्वेक्षण में शामिल हर महिला के सामने कि बंद लिफ़ाफ़े बिना नाम इक मतपेटी में डलवा बाद में खोलने हैं। सारे लिफ़ाफ़े एक जैसे होंगे ताकि हम भी न जान पायें किस का कौन सा लिफाफा है।अभी तक हम सर्वेक्षण कर चुके थे , फैशन , उत्पाद का रंग , पैकिंग , नाम को लेकर। इक कंपनी ने सर्वेक्षण करवाया और अपना नाम तक बदल लिया जो लोगों को बेहतर लगा रख लिया। आजकल लड़का लड़की क्या पसंद करते विवाह करने के अवसर पर , इक महिलाओं की पत्रिका ने ये भी सर्वेक्षण करवाया था। ये नहीं बताया जा सकता कौन कौन शामिल था और किस तरह संपर्क किया गया , मगर सर्वेक्षण बेचने वाली और खरीदार दोनों तरह की महिलाओं को मिलकर किया गया। बंद लिफाफों में क्या क्या क्या मिला सुन आप चौंक जाओगे। कुछ बातें जो निकली कुछ इस तरह की हैं। किसी ने सवाल लिखा था भला कोई करोड़पति महिला शादी ही क्यों करना चाहेगी , करोड़पति को पति की क्या ज़रूरत। फिर भी लेना होगा तो नया ही लेगी उपयोग किया सेकंड हैंड पति तो हर्गिज़ नहीं। दस लाख में डॉक्टर बीस में इंजीनियर पचास में आई पी एस और एक करोड़ में आई ए एस बिकता है , इस से ऊंचे दाम में उद्योगपति क्या नेतापुत्र मिलते हैं। और अगर कोई फ़िल्मी नायक जैसा ईमानदार है तो आधे दाम भी कोई क्यों लेगी। मोल चुकाना है पूरा तो नया ही पसंद करेंगे , किसी का इस्तेमाल किया क्यों। फर्नीचर पंखें किताबें खरीद लेते सस्ती मिलती जब लगती नई सी हों।
इक और के विचार यूं भी पढ़ने को मिले , मेरा पति ईमानदार भी नहीं है , वेतन से दोगुनी ऊपरी कमाई है , ठीक ठाक काम भी देता ही है , फिर भी दो करोड़ क्या कोई एक करोड़ में खरीदना चाहती हो तो मौका नहीं गवाउंगीं। मैं व्योपारी पिता की होनहार समझदार बेटी हूं , जानती हूं पिता भी खुश होंगे जब पता चलेगा दो लाख में खरीद लाये जिसको पांच साल बरत कर भी करोड़ में बिक भी गया।
तीसरी और आगे निकल गई , लिखती है मुफ्त में भी कोई नहीं लेगा इस निकम्मे को। जब से शादी की मैं खिला रही कमाकर। मेरी कमाई को शराब में उड़ाता है और पीकर मुझे ही पीटता भी है , ऐसे से पिंड छूटे तो चैन से रहूंगी अकेली। बहुत सारी पत्नियों ने लिखा क्यों ऐसा मज़ाक करते हैं , कोई और भला इसको पसंद करेगी। मैं ही पागल थी जो फंस गई इनके जाल में , ये भी जानते हैं दूसरी कोई नहीं मिल सकती तभी मेरी उंगलियों पे नाचते हैं। इक और ने इतना ही लिखा था , काश ऐसा हो सकता। मेरा ऐसा नसीब कहां।
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