जनवरी 20, 2013

POST : 286 अब हर किसी को अपना बताने लगे हैं (ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

        अब हर किसी को अपना बताने लगे हैं (ग़ज़ल ) 

                              डॉ लोक सेतिया "तनहा"

अब हर किसी को अपना बताने लगे हैं
लेकिन हमीं से नज़रें चुराने लगे हैं ।

अंदाज़ उनकी हर बात का अब नया है
लेकिन हमें मतलब समझ आने लगे हैं ।

जब से कहानी अपनी सुनाई किसी को
सारे ज़माने वाले सताने लगे हैं ।

हमने नहीं जाना अब किसी और घर में
बस आपके घर आए थे , जाने लगे हैं ।

बेदाग़ कोई आता नज़र अब नहीं है
सब आईना औरों को दिखाने लगे हैं ।

लिखवा लिया हमने बेवफा नाम ,जब से
"तनहा" हमें आकर आज़माने लगे है । 
 

 

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