अक्टूबर 12, 2012

POST : 173 मिरा दिल वो बातें भुलाने लगा है ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

मिरा दिल वो बातें भुलाने लगा है ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया 

मिरा दिल वो बातें भुलाने लगा है
सुकूं सा मुझे अब तो आने लगा है ।

कोई फूल तन्हा ज़रा देर खिलकर
बहारों में मुरझाया जाने लगा है ।

उसे भूल जाऊं ये कसमें दिलाकर
गया ,जो वो फिर याद आने लगा है ।

ख्यालों में ,ख़्वाबों में रह-रह के हमको
तुम्हारा तस्व्वुर सताने लगा है ।

कभी हमने-तुमने जो गाया था मिलकर
वही गीत दिल गुनगुनाने लगा है ।  
 

 

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