अगस्त 10, 2012

POST : 28 शिकवा तकदीर का करें कैसे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

शिकवा तकदीर का करें कैसे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

शिकवा तकदीर का करें कैसे
हो खफा मौत तो मरें कैसे ।

बागबां ही अगर उन्हें मसले
फूल फिर आरज़ू करें कैसे ।

ज़ख्म दे कर हमें वो भूल गये
ज़ख्म दिल के ये अब भरें कैसे ।

हमको खुद पर ही जब यकीन नहीं
फिर यकीं गैर का करें कैसे ।

हो के मज़बूर  ज़ुल्म सहते हैं
बेजुबां ज़िक्र भी करें कैसे ।
 
भूल जायें तुम्हें कहो क्यों कर
खुद से खुद को जुदा करें कैसे ।

रहनुमा ही जो हमको भटकाए
सूए - मंजिल कदम धरें कैसे । 
 

 

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