अक्टूबर 02, 2024

POST- 1898 राजनीति दिल लगाने तोड़ देने की ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

राजनीति दिल लगाने तोड़ देने की ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया 

कभी प्यार कभी तकरार घठबंधन की सरकार पांच साल होते होते वापस जहां से शुरुआत की थी उसी मोड़ पर पहुंच जाती है हाथ थामा था छुड़ा भी लेते हैं । अपने अपने रास्ते पिछली सभी कसमों को भुलाकर चलना समझदारी है क्योंकि चुनाव में फिर काठ की तलवारों की जंग की तैयारी है । सबकी अपनी मज़बूरी है बस कुछ दिन की दूरी ज़रूरी है खूब बुरा भला कहते हैं इस बार नहीं छोड़ेंगे उसको मैदान में हराना है कहते हैं । कुछ बातें आपसी व्यक्तिगत समझी जाती हैं बिल्कुल घरेलू पति पत्नी के बीच की अनबन की तरह बात बाहर नहीं जाने देते अन्यथा मामला संबंध टूटने तक पहुंचने की आशंका रहती है । मायके जाने छोड़ने की धमकी अनगिनत बार देते हैं अलग होना चाहते नहीं और चाह कर भी आसान नहीं होता । राजनीतिक संबंध कब बनते कब बिखरते कब आवश्यकता पड़ने पर दुबारा कायम हो जाते ये रहस्य की बात नहीं मगर कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता है । कठपुतली का खेल राजनीति से बिल्कुल अलग ढंग का होता है लेकिन कुछ साल पहले जब किसी ने खुद प्रधानमंत्री पद स्वीकार नहीं कर किसी और का नाम प्रस्तावित किया तो लोग कहने लगे उनको कठपुतली बनाकर खुद शासन चलाया जा रहा है जबकि उस दल का कहना था ये बड़ा त्याग किया गया है राजनीति आधा सच आधा झूठ का मिश्रण होता है । आजकल कितने ऐसे लोग किसी की चरणपादुका सिंघासन पर रख सत्ता चला रहे हैं लोकतंत्र को बहुत लोगों ने अपनी जागीर समझ लिया है । राजनीति से दिल लगाना खुद अपने दिल को जलाना है दुश्मनों से नहीं दोस्तों से ज़ख़्म खाना है , वक़्त बदलते ढूंढता है कोई नया बहाना है । इस खेल को अभी तक नहीं किसी ने पहचाना है अपना कोई भी नहीं है ये सारा जग पराया है रिश्ता निभाना है । 
 
हरियाणा की ग़ज़ब की राजनीति है सास कौन कौन बहुरानी है मेरी बिटिया बड़ी सयानी है दादी नानी की राजदुलारी है बस घर में कोई और महारानी है उसकी इक ख़ास निशानी है । सियासत में सभी की लड़ाई है कहने को जगहंसाई दरअसल मुंहदिखाई है । पीर अपनी है आफत पराई है आमने सामने बाप बेटा भाई भाई है देखते हैं किस की बजती शहनाई है डोली निकली है बारात जाने कितने दूल्हों ने सजाई है । सत्ता की दुल्हन सजी संवरी बैठी है राजनैतिक विवाह की बात समझते हैं , किसी से प्यार किया शादी किसी और से करनी पड़ी पुरानी प्रेमिका से छुप छुप कर मुलाकात करते रहे उसने भी किसी और को वरमाला पहनाई थी । ग्रहों का खेल है कि रेखाओं से मार खाते हैं आखिर वापस घर लौट आते हैं विवाह संबंध को दरकिनार कर प्रेम फिर से दिल में जगाते हैं रूठे हुओं को मनाते हैं । दो दल आपस में झगड़ते हैं तीसरा कौन है बस इसी से डरते हैं रोटी कोई बनाता है कैसे किस को खिलाता है मगर तीसरा कोई रोटी झपट कर उसके टुकड़े करता है चील कौवों को खिलाता है । खुद नहीं खा सकते किसी को भी नहीं खाने देंगे कुछ बहरी लोगों को यही भाता है सभी का अपना बही खाता है कौन उम्र भर साथ निभाता है । दास्तां अभी अधूरी है सर्वेक्षण की बात कहना ज़रूरी है सब के आंकड़े सच्चे हैं लेकिन अभी तक आप नासमझ बच्चे हैं नतीजे देख कर फिर समझाओगे क्या खोया हुआ वापस पाओगे या भी जाओ आप बड़े वो हैं सुन कर मुस्कुराओगे गले उनको लगाओगे । सबसे बड़ा खिलाडी था बन गया देखो अनाड़ी है अबकी बारी हमारी है कहती दुनिया सारी है । दिल कब किसी पर आता है अजब ये खेल ग़ज़ब ढाता है शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता है ।  
 

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