नहीं परमात्मा से संबंध ( टेढ़ी चाल ) डॉ लोक सेतिया
ये उनका आपस का मामला है किसी और को इस की चिंता नहीं होनी चाहिए , जाने उनको क्या परेशानी है जो पहले से शंका ज़ाहिर कर रहे हैं कि उनकी मनोकामना पूर्ण नहीं हुई तो वो उनकी भक्ति करना छोड़ देंगे बल्कि किसी और की शरण में जीवन समर्पित कर सकते हैं । ऐसा कभी नहीं होना चाहिए बल्कि जब किसी के अच्छे दिन थे तब गुणगान करने वालों को खराब वक़्त में तो निष्ठावान होकर साथ रहना चाहिए हर समाज का यही आदर्श है कि दोस्ती अपनेपन की परख ऐसे समय ही होती है । साधारण लोग अपनी परेशानी सुःख दुःख में कितनी जगह जाते हैं माथा टेकते हैं आरती पूजा ईबादत अरदास किया करते हैं , मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा या गिरजाघर ही नहीं पीर पय्यमबर सब से सुख समृद्धि चाहते हैं परेशानी दूर करने की आशा रखते हैं , पर जो किसी इंसान को भगवान मसीहा बना लेते हैं उनको संग संग पार होना और डूबना भी मज़बूरी होता है ।
भला भगवान कभी पराजित हो सकते हैं ये तो भक्तों का इम्तिहान था कि सिंहासन
पर विराजमान नहीं हो तब भी श्रद्धा में कमी नहीं आनी चाहिए थी , भगवान की जो मर्ज़ी हो वही होता है भक्तों को शंका नहीं करनी चाहिए थी । भगवान खुद नहीं समझ पा रहे थे उनके चाहने वाले क्यों भयभीत होकर उनको हार से बचाने की खातिर निछले पायदान पर उतरने की बात कर रहे थे । भगवान का भय नहीं भरोसा होना चाहिए मगर कुछ लोग समझने लगे थे भगवान की लड़ाई वो लड़ रहे हैं । भगवान को अपने भक्तों से ऐसी उम्मीद नहीं थी कोई कुछ भी कहता रहे उनको विचलित नहीं होना चाहिए , जीत हार से अधिक महत्व होता है जनता का भरोसा कायम है या नहीं बचा है । भगवान को खुद शंका होने लगी थी कि वो वास्तव में हैं भी या कोई झूठा सपना है जो आंख खुलते ही टूटना ही होता है ।
जय श्री राम
जवाब देंहटाएंजय श्री साईं राम
जय श्री मोई राम
जय श्री आशा राम