ख़ाली की गारंटी दूंगा ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
मामला बेहद संजीदा है उनको गारंटी कार्ड छपवाने हैं , पहला सवाल यही है कि क्या एक सौ चालीस करोड़ जनसंख्या में सभी को अलग अलग वितरण करना होगा या सिर्फ उनको जिनके पास प्रमाण पत्र होगा कि सरकार बनवाने में योगदान किया है । नहीं बिलकुल नहीं ये इलेक्टोरल बॉण्ड की बात नहीं है जिन्होंने भी चंदा दिया उनका हिसाब बराबर है इस हाथ लो उस हाथ दो की बात थी । उस को दुनिया भूल गई फिर क्यों दुखती राग को छेड़ते हो , वोट देने वालों का मामला है । चुनाव आयोग से भी सहयोग मिल जाए तो क्या बात हो वीवीपैट की गिनती करते करते देख कर बंद लिफ़ाफ़े में गारंटी कार्ड बंटवाना संभव होगा , या जैसे बैंक भेजते हैं डेबिट क्रेडिट कार्ड गोपनीय किसी काले कागज़ से छिपाकर । पर ये दोनों ही हिसाब मांगने लगते हैं कितना खर्चा कितनी आमदनी क्या क्या । आजकल व्हाट्सएप्प पर निमंत्रण से अन्य सभी संदेश भिजवाते हैं जिन का कोई हिसाब किताब नहीं , और उनको नतीजे घोषित होने के दिन तक ही सुरक्षित रखने का भी विकल्प हो सकता है । सरकार बने नहीं बने गारंटी का कोई प्रमाण निशानी नहीं बचनी चाहिए अच्छे दिन आने वाले हैं लोग अभी भी उलाहना देते हैं ।
योगी बाबा जी को ये ख़बर मिली तो आग बबूला हो गए , मेरी गारंटी झूठी उसकी सच्ची ये तो ठीक नहीं है । मैंने क्या क्या नहीं बेचा किसी ने पीठ नहीं थपथपाई उन्होंने बनाया क्या बना बनाया मिला उसे भी संभाला नहीं कुछ तोड़ा , फोड़ा कुछ खाया पिया बाक़ी सब बर्बाद किया ताकि कोई और कभी आये तो कुछ नहीं बचा रहे । कोई पढ़ने भी लगे तो उनकी गारंटी पढ़ते पढ़ते फिर से चुनाव की घड़ी आ जाए , अभी तक सभी कहते थे कोई जादू की छड़ी नहीं है कि झट पट सबकी सारी मांगे पूरी हो जाएं । लगता है शायद अब कोई अलादीन का चिराग़ मिल गया है जिसे रगड़ते ही हुक्म मेरे आका बोलता जिन्न हाज़िर हो जाता है । कहीं किसी पर दिल तो नहीं फ़िदा हो गया जो आसमान से चांद सितारे तोड़ने जैसी बात करने लगे हैं । इस गारंटी शब्द ने अनगिनत लोगों को तबाह किया है कहना आसान करना असंभव है , हां याद आया पिछली बार का ऐलान था सब मुमकिन है नामुमकिन कुछ भी नहीं अब बात वही है शब्दों का हेर फेर किया है । बात करने में बात बदलने में उनका सानी कोई नहीं बात पर खरे उतरना थोड़ा कठिन है उसकी नौबत नहीं आने देते बात ही बदल देते हैं । गारंटी पर लोग भरोसा करें इस का उपाय है इक गीत है जिसे सुन कर हर कोई ख़ुशी से झूमने लगेगा , पढ़ते हैं ।
साहिर लुधियानवी , नील कमल फिल्म का गीत ।
खाली डिब्बा खाली बोतल ले ले मेरे यार
खाली से मत नफरत करना खाली सब संसार
बड़ा-बड़ा सा सर खाली डब्बा ,
खाली से मत नफरत करना खाली सब संसार
बड़ा-बड़ा सा सर खाली डब्बा ,
बड़ा-बड़ा सा तन खाली बोतल
वो भी आधे खाली निकले
जिन पे लगा था भरे का लेबल
हमने इस दुनिया के दिल में झाँका है सौ बार
हमने इस दुनिया के दिल में झाँका है सौ बार
खाली डिब्बा खाली बोतल ले ले मेरे यार ....
भरे थे तब बंगलों में ठहरे ,
खाली हुए तो हम तक पहुंचे
महलों की खुशियों के पाले ,
फुटपाथों के गम तक पहुंचे
इन शरणार्थियों के सर पे दे दे थोड़ा प्यार |
खाली डिब्बा खाली बोतल ले ले मेरे यार....
खाली की गारंटी दूंगा ,
इन शरणार्थियों के सर पे दे दे थोड़ा प्यार |
खाली डिब्बा खाली बोतल ले ले मेरे यार....
खाली की गारंटी दूंगा ,
भरे हुए की क्या गारंटी
शहद में गुड के मेल का डर है ,
घी के अन्दर तेल का डर है
तम्बाखू में घास का ख़तरा ,
सेंट में झूटी बास का ख़तरा
मक्खन में चर्बी की मिलावट ,
केसर में कागज की खिलावट
मिर्ची में ईंटों के घिसाई ,
आटे में पत्थर की पिसाई
व्हिस्की अन्दर टिंचर घुलता,
रबड़ी बीच बलोटिन तुलता
क्या जाने किस चीज़ में क्या हो,
गरम मसाला लीद भरा हो
खाली की गारंटी दूंगा ,
भरे हुए की क्या गारंटी
क्यों दुविधा में पड़ा है प्यारे ,
झाड़ दे पाकिट खोल दे अंटी
छान पीस कर खुद भर लेना ,
जो कुछ हो दरकार
खाली डिब्बा खाली बोतल ले ले मेरे यार....
गारंटी कार्ड संकल्प पत्र के ऊपर अच्छा आलेख..."साथ मे गीत सोने पे सुहागा
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