जनवरी 21, 2024

जो खोएगा सो पाएगा ( हास्य-कविता ) डॉ लोक सेतिया

    जो खोएगा सो पाएगा  ( हास्य-कविता ) डॉ लोक सेतिया 

उनको भी अनुमति लेनी होती है
घर परिवार सभी और संसार की 
हर व्यवस्था का प्रबंध करते हैं जो
कहना पड़ा मुझ से पहले पूछा नहीं 
घोषित कर दिया मैंने आना है तब 
समझाया बस वही समझा सकती हैं 
बड़े महत्वपूर्ण प्रभावशाली लोग तो 
बिना कारण बतलाए या बहाना बना 
सूचित कर देते हैं कि उपस्थित नहीं 
हो सकते पहले से निर्धारित है कुछ 
अथवा झूठ नहीं बोल सकते तब भी 
मौसम सर्दी ठंड और घना कोहरा 
कुछ समय बाद देखेंगे कह सकते हैं ।  
 
 
भगवान अभी भी अवसर है 
सोच लो विचार कर लो कि
नहीं जाना , जाना कितने दिन 
सुना है आजकल संतान ख़ुद 
अपने माता पिता तक को भी 
इक बोझ समझने लगती है
सभी तब तक अपने होते हैं 
जब तक जमापूंजी रहती है । 
 
राजनेताओं की बात क्या है 
सत्ता की ख़ातिर धर्म ईमान 
शराफ़त इंसानियत भुलाकर 
शैतान से गठबंधन कर लेते
और जनता ठगी रह जाती है 
चुनाव में मतदान करने बाद । 
 
आपकी सभी संतानें मिलकर 
आपको आदर प्रेम और शांति 
हर स्वतंत्रता को अपनी सुविधा 
अपनी ख़ुशी अपने अधिकार भूल
अपनी दिनचर्या दरकिनार कर 
आपका वर्चस्व स्थाई रहने देंगे । 
 
कहीं ऐसा नहीं हो भविष्य में 
उनकी चाहत ख़त्म हो जाए 
मनचाहा आशिर्वाद हासिल कर 
और आप इक निर्जीव वस्तु बन 
किसी कोने में पुरानी तस्वीर की 
तरह इक सामान की तरह रखे 
अपनी बेबसी और बदहाली का 
ख़ामोश तमाशा अपनी नज़र से 
देख अश्क़ों को छुपाओ खुद से ।   
 
अचानक हर समस्या का समाधान 
करने वाले प्रकट हुए अभिवादन कर 
बताया हल ढूंढ लिया है सिनेमाई है 
दो हमशक़्ल जुड़वां भाई हरजाई हैं 
अपनी जगह जुड़वां को भेज देते हैं
चुपके चुपके मकसद जान लेते हैं 
पर्दे के पीछे का सच पहचान लेते हैं 
असली नकली कौन परखता है अब 
दुनिया में सब चलता है कौन सच 
बोलता है और सूली पर चढ़ता है । 
 
बन कर कोई छलिया धरती पर आ 
सही समय पर सबको ही चौंकाएगा
झूठे वादे झूठी बातें करने वालों को 
दो दूनी पांच का सबक जो पढ़ाएगा
हमेशा से जो होता है वही दोहराएगा
पाने वाला खोएगा खोने वाला पाएगा ।  
 

( रद्द भी हो जाते हैं दौरे कभी कभी कारण कुछ भी संभव है । )

 

 
 
 
  
  

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