हैं हैरान हमारे भगवान ( मानो चाहे न मानो ) डॉ लोक सेतिया
आज क्या हुआ जानने से पहले इक पुरानी घटना की जानकारी बतानी ज़रूरी है , वर्षों पहले कुछ शिक्षित विख्यात इंसानों की आत्माओं ने भगवान को आधुनिक ढंग से रहने को मना लिया था । उन समझदार लोगों को लगा था कि आधुनिक काल में भगवान का नया स्वरूप तौर तरीका शैली अपनाकर समयानुकूल बनना ज़रूरी है । लेकिन ये बदलाव धरती पर रहने वालों को मालूम नहीं था और आज भी वो सभी घिसी पिटी पुरानी कथाओं को आधुनिक संदर्भ में समझने की बजाय उनको और भी रहस्यमयी बनाते रहते हैं । भगवान की कथाएं लिखने वाले ये जानकार परेशान होते हैं मगर कुछ करने को सक्षम नहीं हैं क्योंकि जब उन्होंने लिखी कथाएं कहानियां तब कॉपी राईट करवाने का प्रावधान ही नहीं था । अभी अभी पधारी इक आत्मा ने भगवान से शिकायत की थी कि उनकी शांति के निमित आयोजित सभा में जो उनको दिखाई दिया उसे देख कर वो अशांत और बेचैन हो गई हैं । शोकसभा की बातें किसी कॉमेडी से कम नहीं थी और वातावरण भी जैसा था उनकी कल्पना में भी होना संभव नहीं था । जितने वक़्ता अपनी बात बोल रहे थे उनका मकसद कुछ और हो सकता था स्वर्गवासी आत्मा को श्रद्धांजलि देना बिल्कुल नहीं था । अब आज जो हुआ जो हो रहा है जो होना है वापस उसी पर आते हैं ।
जिन महान विद्वान महान आत्माओं ने भगवान को बदलकर आधुनिक परिवेश रहन सहन और आधुनिक साधनों को उपयोग करने का आदी बनाया था उन्हीं लोगों ने इक प्रस्ताव भेजा है आधुनिक शैली से नव वर्ष का उत्सव मनाने का । भगवान की दुनिया में समय दिन घंटे साल की कोई गिनती नहीं होती है वहां का कालचक्र का पहिया निरंतर घूमता रहता है । भगवान हैरान होते हैं जब उनके बनाये सोशल मीडिया अकाउंट पर हर दिन कुछ विशेष अवसर घोषित कर बधाई और शुभकामनाएं आदान प्रदान की जाती हैं । भगवान ने प्रस्ताव पर विचार करने को उन सभी को कक्ष में बुलाया है , बताएं इस का औचित्य क्या है क्या हासिल हो सकता है । विचार विमर्श कर बताया गया कि ज़रूरत या औचित्य की नहीं बात अलग है कि कुछ महीने बीत जाने उपरांत ये आंकलन किया जाए कि हमने इतने समय का समुचित उपयोग किया अथवा नहीं । भगवान ने पूछा ये चलन धरती पर है लेकिन मुझे नहीं दिखाई दिया कि सामान्य आदमी से संस्थान संगठन की बात छोड़ सभी सरकारें तक संवेदनशील भी हैं । मैंने तो देखा कोई सबको समझा रहा था कि आपकी उम्र इतने बरस की हो गई है तो आप भाग्यशाली हैं और आपको सौ बरस जीने को क्या क्या करना है । कोई नहीं सोचता सौ बरस जी कर किया क्या करना क्या है । सरकार सभी साल गिनती हैं जैसे कोई रोगी अंतिम सांसें गिनता है करती कुछ भी नहीं बस प्रचार इश्तिहार छपवाते रहते हैं ।
जब से भगवान की दुनिया में बदलाव किया गया है देवियों को अपना महत्व समझ आया है । धरती से फ़िल्मी सितारे कुछ अनुभवी लोगों को लाये थे जो उनका मेकअप और वेशभूषा को लेकर सहयोग करते हैं । देवी देवता और भगवान को भी उनकी सेवाएं पाकर सुखद अनुभव हुआ है । अब आधुनिक साज़ो-सामान से लेकर वाहन तक सभी उनके पास हैं और धरती पर घटित पल पल की घटनाओं का सीधा प्रसारण भी उनको इक अनूठे आनंद का अनुभव करवाता है । सभी महिलाओं ने इक ऐसा नव वर्ष आयोजित करने पर सहमति प्रदान की है जिस पर भगवान ने सोच विचार कर जवाब दिया है ।
आप सभी चाहते हैं तो पहला सवाल यही होगा कि शुरुआत किस दिन से की जाए , ये भी निर्धारित हो जाएगा लेकिन तब सभी देवियों को हर साल अपनी बढ़ती उम्र का एहसास हुआ करेगा जो इक दिन की जश्न की ख़ुशी से कहीं बढ़कर परेशानी बढ़ाने वाला हो सकता है । लेकिन महिलाओं की ज़िद भला कोई किसी तरह से समझा सकता है देवियों की प्रमुख ने कहा भगवान आपको फ़ज़ूल ख़र्चे की फ़िक्र है ये बहाने नहीं चलने वाले । आपको हमारी बात मंज़ूर करनी पड़ेगी हम आधुनिक होने की राह पर आगे बढ़ते जाते हैं भले कुछ भी हो पीछे नहीं हटने वाले । भगवान जानते हैं यही धरती वासी मनुष्यों का भी है प्रगति के नाम पर विकास नहीं विनाश की तरफ बढ़ते जाते हैं सभी अंजाम जानते हैं मगर नहीं संभलने वाले । भगवान की दुनिया में भी नए साल का धूम धड़ाका जश्न होने लगा है ये खबर अच्छी है या नहीं है वही जानता है ।
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