नवंबर 06, 2023

हर किसी का अलग ख़ुदा है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया

    हर किसी का अलग ख़ुदा है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया  

हर किसी का अलग ख़ुदा है 
अब ज़माना बहुत नया है ।  
 
प्यार की बात कर रहे हो 
प्यार करना बड़ी ख़ता है । 
 
जाम भर भर मुझे पिलाओ 
ज़हर ये दर्द की दवा है ।
 
हम से दुनिया ख़फ़ा है सारी 
बोलते सच मिली सज़ा है ।  

मौत भी जश्न बन गई है 
रोज़ होता ये हादिसा है । 

साथ हर बार और कोई 
आजकल की यही वफ़ा है । 

झूठ ' तनहा ' से कह रहा है
ये बता सच का हाल क्या है ।  



 
 

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