अक्टूबर 29, 2023

फिर नहीं लौटते हैं जाने वाले ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया

      फिर नहीं लौटते हैं जाने वाले ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया 

फिर नहीं लौटते हैं जाने वाले 
याद आते बहुत भुलाने वाले । 
 
हम अगर साथ-साथ मिलकर चलते 
क्या सताते हमें ज़माने वाले । 
 
हम वफ़ा कब तलक निभाते आख़िर 
जब गए रूठ सब मनाने वाले । 
 
लोग जिन पर यकीन करते पूरा 
झूठ को वो थे सच बताने वाले । 
 
उनकी बातें हसीन लगती सबको 
जुगनुओं को शमां बनाने वाले । 
 
नींद आई उन्हें बड़ी गहरी जो 
सबको थे नींद से जगाने वाले । 
 
दर्द ' तनहा ' हमें मिले सब उनसे
वो ज़माने के ग़म मिटाने वाले । 
 

  

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