अगस्त 30, 2023

गोलगप्पों की राजनीति ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

     गोलगप्पों की राजनीति ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया  

सब जगह चर्चा है अख़बार में खबर छपी है तस्वीर भी जनाब गोलगप्पे खा रहे हैं चैनल वाले एंकर से अखबार के संपादक तक इस बात पर गंभीर चिंतन कर घटना का निहितार्थ ढूंढ रहे हैं । खबर महत्वपूर्ण है टीवी पर घोषणा करने वाले समझाने को सवालात ही सवालात खड़े कर बहस की शुरुआत कर रहे है । क्या ये आने वाले चुनाव को सामने रख कर गणित ठीक करना है । क्या पानी पूरी गोलगप्पे और भरवां गोपगप्पे तथा आटे वाले सूजी वाले गोलगप्पे को लेकर कुछ अंतर है कौन किसे पसंद है इसे लेकर कोई संदेश देने की बात जनाब कर रहे हैं । एंकर जानना चाहता है कि गोलगप्पे का पानी का स्वाद को लेकर क्या सभी की राय अलग अलग है या इस पर एकमत से सहमति बन सकती है । इतना साफ़ है ये किसी भी राजनीतिक दल का अधिकार नहीं है बल्कि महिलाओं ही की चाहत की बात नहीं पुरुष भी चटखारे लेकर गोलगप्पे खाने को तैयार हैं । गोलगप्पे की रेहड़ी वाला बता रहा है कि हर राजनैतिक दल हर वर्ग जाति धर्म के लोग उस के ग्राहक हैं । क्या इसको आपसी भाईचारा राष्ट्रीय एकता से जोड़ा जा सकता है सत्ता और विपक्षी दल यहां आकर सब मतभेद छोड़ एक साथ खाते खिलाते हैं । टीवी वाले का कैमरा वहां पहुंच जाता है जहां गोलगप्पे कड़ाही में तले जाते हैं और गोलगप्पे का पानी और उबले आलू को मसल कुचल कर चटनी को भी बनाया जाता है । लेकिन कैमरे को नज़दीक जाने की अनुमति नहीं है इक सुरक्षा चक्र है जिस के बाहर से फोटो वीडियो बना रहे हैं । इक कर्मचारी अंदर जाने से रोकता है ऐसा कहते हुए कि उनकी बनाने की विधि और रेस्पी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है । धंधे का सवाल सबसे बड़ा है , अचानक जनाब रेहड़ी वाले से बातचीत करने लगते हैं और जानना चाहते हैं कि कब से ये व्यवसाय कर रहे हैं और कितनी बिक्री कितना मुनाफ़ा होता है । 

गोलगप्पे की रेहड़ी वाला थोड़ा घबराया लगता है तो जनाब दिलासा देते हैं कि उनका किसी आयकर विभाग से या अन्य किसी संस्था से कोई मतलब नहीं है । उनको अपने अगले चुनावी घोषणापत्र में इस को लेकर योजना बनानी है शोध करना है कि इसका सेवन कितना लाभदायक है । हमारी सरकार बन जाएगी तो सबको गोलगप्पे खाने की शानदार पार्टी आयोजित की जाएगी और इस को बढ़ावा दिया जाएगा । हमने इक सर्वेक्षण करवाया है जिस का नतीजा यही है कि अधिकांश जनता की पसंद यही है । गोलगप्पे वाले को अपने दल का उम्मीदवार बनाने की बात भी कही गई है टिकट देने का वादा है बस इक शर्त इक इरादा है सब कुछ आधा-आधा का प्रस्ताव है । ये बड़ा सस्ता भाव है या कोई नया दांव है खुद उसको पाव भाजी से लगाव है । उसको फिर अच्छे दिन दिखाई दे रहे हैं अपना गोलगप्पों का बिल मांगा तो कहने लगे कर गूगल पे रहे हैं । मेरे पास कोई ऐसा विकल्प नहीं है कहने पर जवाब मिला नकद देने की हमको इजाज़त नहीं है चैक लेने तुमको राजधानी आना पड़ेगा जीएसटी का खाता बनाना पड़ेगा । समस्या बड़ी भारी है ये खर्च सरकारी है दस बीस साल बाद होता भुगतान है रेहड़ी वाला बड़ा नादान है इन सब से अनजान अनाड़ी है । राजनीतिक दल वाला बतला रहा है गोलगप्पे की रेहड़ी वाला जनाब को समर्थन भी दे रहा और मुफ़्त में गोलगप्पे परोस कर हाथ मिला रहा है । जनता क्या है गोलगप्पा है जिसको हर दल वाला कब से खा रहा है कीमत कौन चुका रहा है ये कोई नया ज़माना है जो सदियों से चला आ रहा है खुद को बदला हुआ नवयुग बता रहा है ।



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