अप्रैल 18, 2023

जो भूला लोकतंत्र आचार ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

जो भूला लोकतंत्र आचार ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया 

जो भूला लोकतंत्र आचार 
हुई सत्ता की जय जयकार ।

चुना था जिनको हमने , वही
बिके हैं आज सरे-बाज़ार ।

लुटा कर सब कुछ भी अपना
बचा ली है उसने सरकार ।

टांक तो रक्खे हैं लेबल
मूल्य सारे ही गए हैं हार ।

देखिए उनकी कटु-मुस्कान
नहीं लगते अच्छे आसार ।



 

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