दुनिया बनाने वाला हैरान परेशान ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
कुछ बात ऐसी हुई कि ऊपरवाला खुद अपने निवास स्थान को छोड़ नीचे धरती पर चला आया । सोचा था शायद वहीं चैन सुकून मिला तो वापस आसमानों की तरफ भूले से भी देखना नहीं । धरती पर आकर देखा तो दुनिया बदल चुकी थी जैसी उसने बनाई और जिस भविष्य की कल्पना कर धारणा बनाकर छोड़ दिया था दुनिया को खूबसूरत से भी बढ़कर शानदार सभी के जीने ख़ुशी से रहने को तमाम चीज़ें उपलब्ध करवा कर उसका कोई वजूद ही नहीं था । उसने कभी ऐसी दुनिया बनाने की चाहत नहीं की थी ये कोई और किसी शैतान की बनाई दुनिया लगती है । घूमते फिरते अजनबी लोगों से पूछता रहा ये कौन सी दुनिया है किस ने बनाया है ये सब तबाही का मंज़र दिखाई देता है कोई भी यहां जितना भी हासिल है उस को पाकर संतुष्ट नहीं है । चलते चलते कितने बड़े बड़े महल जैसे मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे गिरजाघर कितने धर्मों के धार्मिक स्थल नज़र आये काफी तहकिक़ात के बाद पता चला ईश्वर अल्लाह जीसस वाहेगुरु रहते हैं उन जगहों पर । देवी देवता पीर पय्यमबर फ़रिश्ते मसीहा संत साधु उपदेशक असंख्य नाम वाले गली गली शहर शहर बस्ती बस्ती गांव गांव विराजमान हैं जिनकी आराधना पूजा ईबादत आरती महिमा का गुणगान होता है । धन दौलत चढ़ावा तरह तरह के व्यंजन उनको भोग लगाए जाते हैं हीरे जवाहरात सोना चांदी के ज़ेवरात पहनाए जाते हैं । खुदा को अल्लाह को बंदे मनाए जाते हैं किस बात से खफ़ा हुआ दुनिया का मालिक कोई नहीं जानता भजन आरती अरदास क्या क्या नहीं जिस को रोज़ सुबह शाम दोहराए जाते हैं । इक पहेली है विधाता ईश्वर ख़ुदा कितने नाम हैं सभी सुलझाने की बात नहीं करते उलझन को बढ़ाए जाते हैं । इक दुनिया बनाने वाले के अनगिनत तस्वीरें बुत क्या क्या नहीं बनाकर बाज़ार में सिक्का जमाए मुनाफ़ा कमाए कारोबार चलाए जाते हैं । किसी कंपनी की तरह शाखाएं खोलते जाते हैं ख़रीददार को जो मांगोगे मिलेगा की तरह झांसा देकर उल्लू बनाए जाते हैं ।
आखिर उपरवाले को एहसास हुआ कि दुनिया को बनाकर उसे अपने हाल पर छोड़ आज़ादी से सबको मनमानी करने की छूट देना बड़ी गलती थी और उसको खुद हर दिन पल पल संभालना भी उसका दायित्व था । कुछ सहायकों को देखभाल करने को नियुक्त करने से सब सुचारु ढंग से नहीं चल सकता था । बहुत सोचने चिंतन करने के बाद विधाता ने निर्णय लिया जब तक तमाम समस्याओं को समझ नहीं लेते और समाधान नहीं खोज लेते उस आकाशलोक में नहीं लौटना है । बहुत दिन से दुनिया का मालिक फुटपाथ पर रह रहा है । उधर ऊपर जब मालिक बहुत समय तक दिखाई नहीं दिए तो उस लोक में सबको चिंता होने लगी ढूंढते ढूंढते थक गये सभी तब राज़ खुला किसी ने कटाक्ष किया था मालूम भी है जिस दुनिया को बनाया था किस हाल में है । भारत देश के लोकतंत्र की तरह सिंघासन पर विराजमान शासक अधिकारी सोचते हैं सब बढ़िया है शानदार है क्योंकि सरकारी आंकड़े योजनाएं सभी दिखलाते हैं चारों तरफ हरियाली है फूल ही फूल खिले हैं । भूख गरीबी बदहाली अन्याय अपराध भेदभाव जनता की समस्याएं कब की मिटाई जा चुकी हैं उन फाईलों को दीमक चाट गई है और अधिकारी कर्मचारी सरकारी अनाज के गोदामों को पेट भरकर खाते खाते मस्ती में झूमते रहते हैं । देश का सारा धन दौलत साधन पांच फ़ीसदी अमीरों का है बाकी को कुछ नहीं मिला और उनको समझाया गया है कि ये उनकी फूटी किस्मत है बदनसीबी है । सरकार समाज का कोई दोष नहीं है दुनिया बनाने वाले ने सबको एक समान देने का प्रावधान नहीं किया है तभी जिसकी लाठी उसकी भैंस का शासन कायम है । मुश्किल अजीब है ऊपरवाला अपनी बनाई दुनिया को देख कर दंग है और जिनको बनाया था वो बंदे उसको पहचानते नहीं मानते ही नहीं खुद ईश्वर धरती पर आया है अपने आप बगैर किसी कर्मकांड आयोजन किये ।
उपरवाले को खोजते खोजते उस लोक वासी धरती पर पहुंचे और बदली दुनिया के हालात उसके आधुनिक अंदाज़ को देख समझ कर विधाता को मनाने लगे ज़िद छोड़ अपनी आसमानी दुनिया को लौट चलें । बस अब बहुत देर कर दी तुमने दुनिया को बनाकर सुध बुध नहीं ली अब सब ने अपने अपने भगवान खुदा देवी देवता बना लिए हैं । दुनिया को उनके खुद के बनाये नकली भगवानों के रहमो करम पर छोड़ कोई और नई असली दुनिया बनाओ ये सब मानते भी हैं कि असली दुनिया कहीं कोई और है । लेकिन ऊपरवाला नहीं माना उस से अब कोई नई दुनिया बन ही नहीं सकती अपनी गलती की सज़ा झेलनी पड़ेगी उसको फुटपाथ पर रहना होगा प्रायश्चित करने को । टीवी पर देखा कोई फ़िल्मी अदाकारा को आरती कर रहे थे कोई किसी शातिर अपराधी को मन की बात समझने वाला समझ उसके पांव पकड़े थे कोई किसी राजनेता की तस्वीर के सामने सर झुकाए खड़े थे , कितने लोग अपना भगवान खुदा कितनी बार बदल रहे थे । दुनिया असली कैसे रहती जब दुनिया वालों ने अपनी पसंद से साहूलियत को देख ईश्वर नकली बनाकर उनकी भक्ति शुरू कर दी है ।
शानदार👌👍
जवाब देंहटाएंजनता पर कंगाली है
कुर्सी पर हरियाली है।