अब तो सारा जहां हमारा है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
अब तो सारा जहां हमारा है
आपने हमसफ़र पुकारा है ।
तुम ही पतवार तुम ही हो माझी
हो जहां तुम वही किनारा है ।
कौन आवाज़ दे रहा मुझ को
आ भी जाओ नहीं गुज़ारा है ।
रोक सकते नहीं मुहब्बत को
इक नदी तेज़ जिसकी धारा है ।
अब नहीं ज़िंदगी अधूरी जब
आपके प्यार का सहारा है ।
हर तरफ आप हैं जिधर देखें
खूबसूरत , बहुत नज़ारा है ।
दूर थे पास पास अब ' तनहा '
प्यार का जब मिला इशारा है ।
Wah बहुत खूब
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