जनवरी 20, 2014

POST : 406 अब तो सारा जहां हमारा है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

 अब तो सारा जहां हमारा है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा" 

अब तो सारा जहां हमारा है 
आपने  हमसफ़र पुकारा है । 
 
तुम ही पतवार तुम ही हो माझी     
हो जहां तुम वही किनारा है । 
 
कौन आवाज़ दे रहा मुझ को    
आ भी जाओ नहीं गुज़ारा है । 
 
रोक सकते नहीं मुहब्बत को  
इक नदी तेज़ जिसकी धारा है । 
 
अब नहीं ज़िंदगी अधूरी जब 
आपके प्यार का सहारा है । 
 
हर तरफ आप हैं जिधर देखें 
खूबसूरत ,  बहुत नज़ारा है ।   
 
दूर थे पास पास अब ' तनहा '
प्यार का जब मिला इशारा है । 




 

 

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