जून 13, 2020

ज़िंदगी से मिलो मर जाने से पहले ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

   ज़िंदगी से मिलो मर जाने से पहले ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया 

दोस्त मुझे अपना बनाने से पहले  
मुझे जान लेना भूल जाने से पहले 

ये जीने का अंदाज़ सीखो मुझसे 
मर जाना नहीं मौत आने से पहले । 

कभी आ भी आओ साथ मिलकर 
कदम दो कदम चलें हम दोनों भी 

गले से लगा लो बताओ सुनो भी 
हाल ए दिल छोड़ जाने से पहले । 

दुनिया अजब है हैं दस्तूर निराले 
हैं लिबास सफेद और दिल काले 

चलों अश्कों की बारिश में भीगें 
मिल के दोनों मुस्कुराने से पहले । 

शिकवे गिले यारो मुझ से कर लो 
जितने भी अरमान बाकी कहो तुम 

छुपाके दिल में शिकायत न रखना 
मेरी अर्थी को फिर उठाने से पहले । 

कुछ मीठी कुछ कड़वी कुछ बातें 
हंसती रुलाती कई यादें करना याद 

मेरे मजार पर शमां जलाकर मुझपे 
फूलों की इक चादर चढ़ाने से पहले । 

यही वक़्त है दो चार घड़ी हमारा 
सुनाओ कहानी तुम अपनी ज़ुबानी 

कोई और किस्सा नई बात कोई 
कहो उनके भूल जाने से पहले ।

मुहब्बत ईबादत प्यार दोस्ती है 
इसी को कहते हैं जी रहे हैं हम 

मिलके जियो जीने के लिए अब तो 
मिलो ज़िंदगी से मर जाने से पहले । 
 

 




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें