मई 04, 2020

पत्नी सेवा का पुरुस्कार ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

    पत्नी सेवा का पुरुस्कार ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया 

     महिला मुक्ति मोर्चा की अध्यक्षा से ये सहन नहीं हुआ , ऊपर जाने के बाद देखा कुछ एक को छोड़ तमाम पुरुष स्वर्ग जाने की कतार में खड़े हैं और इक्का दुक्का को छोड़कर तमाम महिलाओं को नर्क जाने की कतार में खड़ा किया हुआ है । ऊपरवाले के दरबार के बाहर खड़े होकर अपने ऊंचे स्वर में भाषण देना शुरू कर दिया । नहीं हम इस अन्याय को स्वीकार नहीं करने वाली हैं । आखिर ऊपरवाले को उसे अपने पास बुलाना ही पड़ा । कहो देवी आपको क्या अनुचित लग रहा है । महिला मोर्चा की अध्यक्षा ने कहा चलो कोई तो कारण होगा जो आपने फिर हम महिलाओं को नर्क भेजने का निर्णय किया है मगर ये तो बताओ इन सभी पुरुषों ने ऐसा क्या पुण्य कर्म किया जो इनको स्वर्ग इतनी आसानी से मिल रहा है । महिला मुक्ति मोर्चा की अध्यक्षा को उनके सवाल का जवाब जानने को नारद मुनि जी के पास भेजा गया । नारद जी को ये काम कितनी बार करना पड़ता है इसलिए उन्होंने इस को इक कथा का स्वरूप देकर लिखकर रखा हुआ है । हर बार की तरह जब भी कोई नारी उनके पास लाई जाती है उनकी कथा अपने आप शुरू हो जाती है । 

    कलयुग में पत्नी की सेवा भगवान की भक्ति से बढ़कर फलदाई है । अपनी पत्नी की जीवन भर सेवा करने से पिछले जन्म-जन्म के अपकर्मों पापों से मुक्त हो सकते हैं । विवाह के समय हर महिला को इक घर मिलता है जो स्वर्ग बनाया जा सकता और नर्क भी बन सकता है । जिस भी नारी ने अपने घर को स्वर्ग समान बनाया उसे बाद में स्वर्ग मिलता है और नर्क बनाने वाली नारी को नर्क मिलना ही होता है । पत्नी भी अपने पति के लिए जीवन भर सब कुछ करती है लेकिन अपने पति को हर दिन ताने भी मारती है और कहती रहती है मुझे पाकर आपको अच्छी पत्नी मिली है मगर मेरे ही नसीब खोटे हैं जो तुम जैसे को मेरे पल्लू से बांध दिया । इसी से पत्नी के हर दिन अच्छे कर्म भी व्यर्थ हो जाते हैं जबकि पति उलाहने व्यंग्यबाण झेल कर भी हमेशा अपनी पत्नी को खुश करने की कोशिश करते रहते हैं । उनके सभी पाप जुआ शराब और झूठ बोलना भी माफ़ हो जाते हैं और पत्नी सेवा का सबसे बड़ा धर्म निभाने से उनके लिए स्वर्ग के द्वार खुद - ब- खुद खुल जाते हैं । अपने पति का अपमान करने का पत्नी का ये अपराध इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि समाज को दिखाने को वे उन देवियों की उपासना करती हैं जो सीता या पार्वती जैसी पति को भगवान मानती थीं । जबकि खुद उन्होंने अपने पति को इंसान भी समझना नहीं चाहा है । कोई भी पति अपनी पत्नी की सभी इच्छाओं को पूरा नहीं कर सकता है क्योंकि किसी के पास भी कोई अलादीन का चिराग़ होता नहीं है । जो भी पत्नी जितना मिला उसे पाकर और पति से आदर मिलने पर खुश रहती हैं उनको भी स्वर्ग मिलना ही है । लेकिन जिन्होंने जीवन भर अपने स्वर्ग को नर्क बताया उनको वास्तव में नर्क क्या होता है इसे दिखलाना भी ज़रूरी है विधाता के लिए । मगर जब नर्क को देखने के बाद जिस भी नारी को समझ आता है कि उसने अपने को मिले स्वर्ग को नहीं पहचाना था उसको नर्क से मुक्ति मिल जाती है । 
 






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