मई 18, 2020

यहां गंदे नाले में बहा सब कुछ ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

   यहां गंदे नाले में बहा सब कुछ ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया 

   शराब कितनी भी महंगी हो उसकी सही जगह यही है , और आप चिंता कर रहे हैं गंदे नाले में बहा दी। हां ये जिन्होंने गंदे नाले में बहाई है खुद को कानून से बचाने को वो तो खुद जाने कब से किसी गटर में पड़े हुए हैं। देश की राजनीति शायद वो सबसे बड़ा गंदगी का गंदा नाला है जो लगता ही नहीं बह रहा है और ये भी समझ नहीं आता किधर से किधर को जा रहा है। यहां कोई स्वच्छता अभियान नहीं चलाता है यही वो सत्ता की अविरल धारा है जिसमे हर कोई नहाता है जो भी शासक बन जाता है इस में मिलकर सब कुछ इक जैसा हो जाता है। किस गंदे नाले में ईमानदारी शराफ़त और नैतिकता को कितने लोगों ने फैंका तब जाकर उनको धन दौलत शोहरत नाम रुतबा सब हासिल हुआ। आपको जो लोग बड़े साफ सुथरे सजे धजे बन संवर का खुशबू लगाकर अच्छी अच्छी बातें करते लुभाते हैं उनके भीतर इस गंदे नाले से बढ़कर गंदगी भरी हुई है। अपने मन का मैल धोते नहीं छिपाते हैं। सत्ता का गटर बहुत फैला हुआ है आपको शहर शहर गांव गांव बस्ती बस्ती गली गली नज़र आएगा जब आपको वास्तव में गंदे नाले और साफ पानी की पहचान समझ आएगी।

   जाने कितने नगर हैं जिनके बीच इक गंदा नाला बहता है सरकार ने कितनी गहरी सीवर की लाइनें बिछाई हों इन गंदे नालों को ढकने की कोशिश भी काम नहीं आई है। ये किसी विरासत की तरह संभाली हुई जैसी हैं उसी तरह रहने दिया गया है। लोग हमेशा गंदे नाले से हटकर दूर से निकलते हैं मगर कुछ ऐसी जगह हैं जहां जाने का रास्ता ही गंदे नाले को पार कर गुज़रता है हैरानी होती है ऐसी बड़े बड़ी संस्थाओं संगठनों में हर तरह हरियाली फूल और बेहद खूबसूरत दुनिया बसाई होती है। सब जानते हैं यहां गंदा नाला भी है मगर देख कर भी नहीं देखते हैं आपने भी जाने कितनी ऐसी जगहों को जाकर देखा होगा और सोचा होगा क्या बात है यही तो स्वर्ग की तरह है शायद उस से बढ़कर सुंदर भी। गंदे नाले पहचान नहीं हैं ये कुछ उसी तरह की बात है जैसे किसी सड़क पर कोई निशान बना होता है। सावधान ये मार्ग सुरक्षित नहीं है , आगे खतरा है बचाव में ही बचाव है। शराब पीकर वाहन मत चलाएं कोई घर पर आपका इंतज़ार कर रहा है। ये रास्ता बंद है ये सड़क आम नहीं है खास लोगों के लिए है। कितनी तरह की चेतावनी मिलती रहती है हम ध्यान ही नहीं देते पढ़कर परवाह नहीं करते सुनकर अनसुना कर देते हैं।

    बचपन से समझाया गया था अच्छे लोगों का साथ रखना और बुरे लोगों से हमेशा बचना। मगर हमने अच्छे लोगों को पास नहीं फटकने दिया और खराब लोग गंदी आदतों को अपनी चाहत बना लिया। बेटा ये राजनेता बड़े मतलबी होते हैं अव्वल दर्जे के कपटी झूठे होते हैं इनकी कसम इनके वादे कभी ऐतबार मत करना। हमने याद रखी बात नहीं कभी भी हमने तो कोशिश की उन्हीं में शामिल होने उनसे भी बढ़कर बुराई की मिसाल बनने की। मैं ऐसे बहुत लोगों को करीब से जनता पहचानता हूं जो किसी विचारधारा की अच्छी बातों के उपदेश देकर सबको समझाते हैं कि पैसा कुछ भी नहीं है दौलत के पीछे मत दौड़ो। ये रेगिस्तान की चमकती रेत है पानी नहीं इस से प्यास नहीं बुझेगी और भागते भागते मर जाओगे। लेकिन वास्तविक ज़िंदगी में वही पैसा कमाने को उचित अनुचित सब तरीके अपनाते हैं। सतसंग को ज़रूर जाते हैं और गुरूजी गुरूजी के नाम की माला जपते हैं भजन गाते हैं। गुरूजी दीवार पर टंगी तस्वीर हैं जो लिविंगरूम की शोभा बढ़ाते हैं गुरूजी के चेले मिलकर खाते खिलाते हैं झूठ को सच बताते हैं सच को कभी नहीं अपनाते हैं। गंगा यमुना में कितने गंदे नाले मिलते जाते हैं मगर उसके बाद वो सभी बहती नदिया कहलाते हैं गंगा सफाई पर भी ऐसे लोग समझाते हैं जब आपस में मिल जाते हैं तो और बढ़ते जाते हैं। अब हालत ऐसी है कि कोई नदी बहते बहते किसी महानगर तक इतनी खराब हो जाती है कि उसका जल पीने की बात क्या सिंचाई के भी काबिल नहीं रहता है। आजकल लोग आरओ का पानी पीते हैं कौन जानता है जो पानी आपके घर तक नल में पहुंचा उस में नहर नदी का जल कितना बचा था और कितना गंदे नाले की मिलावट वाला पानी उसमें शामिल है। 

  इक चुटकुला बहुत पुराना है। इक सरदार जी अपनी सरदारनी को लेकर सिनेमा देखने जाने को तैयार हो रहे थे। सरदार जी ने कुरता पायजामा और सरदारनी ने नया सूट सलवार कमीज़ पहना हुआ था। जब सरदारनी ने अपनी सलवार में पुरानी सलवार से निकाल कर नाड़ा डाला तो सरदार जी बोले ये गंदा है दूसरा बदल लो। सरदारनी ने कहा अब देर हो जाएगी कौन सा नाड़ा बाहर नज़र आता है। डीटीसी की बस में अभी कुछ सफर किया कि बस कंडक्टर ने आवाज़ दी गंदे नाले वाले सीट से खड़े हो जाएं। सरदार जी ने सरदारनी को कहा अब देख लो क्या नतीजा हुआ। बस रुकी और कंडक्टर ने कहा जो भी सवारी गंदे नाले की है नीचे उतर जाए। सरदार जी सरदारनी को लेकर बस से उतर गए। वास्तव में उस बस स्टॉप का नाम ही यही था क्योंकि वहां गंदा नाला बहता था।

   गंदा नाला भी देश की अर्थव्यवस्था में शामिल है। शहर से सीवर का गंदा पानी और गंदगी बाहर निकलते ही नाले में मिल कर नगरपरिषद के लिए आमदनी का साधन बन जाती है। शहर के नज़दीक सब्ज़ी उगाने को इस पानी का उपयोग किया जाता है और समझा जाता है कि ऐसे पानी मिलने से खाद की भी ज़रूरत पूरी हो जाती है। शराब को नाली में बहाना ज़माने से होता रहा है उसकी बात फिर कभी विस्तार से।

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