अप्रैल 22, 2020

सभी ख़ौफ़ दिल से मिटा कर तो देखो ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

        सभी ख़ौफ़ दिल से मिटा कर तो देखो ( ग़ज़ल ) 

                                 डॉ लोक सेतिया "तनहा" 

सभी ख़ौफ़ दिल से मिटा कर तो देखो 
कभी हौंसला आज़मा कर तो देखो । 

ख़ुदा के भरोसे रहे हो हमेशा 
भरोसा खुदी पर जगा कर तो देखो । 

भंवर और तूफ़ान से अब डरो मत 
किनारे पे कश्ती लगा कर तो देखो । 

सिकंदर कलंदर सभी मिट गए हैं 
है जीना अगर सर उठाकर तो देखो ।

घुटन खत्म ऐसे नहीं कर सकोगे
रुके जितने आंसू बहा कर तो देखो ।

है वादा तुम्हारे लिए जां भी देंगे
मुझे दोस्तो आज़मा कर तो देखो ।

गिले और शिकवे सभी छोड़ "तनहा"
खताएं जफ़ाएं भुला कर तो देखो । 
 

 

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