सामाजिक सरोकार एवं कलाजगत का संगम ( आलेख )
( रौनक एंड जस्सी नाटक और पापुलेशन फाउंडेशन संस्था की बात ) डॉ लोक सेतिया
कल शाम इन दोनों का संगम देखने का अवसर मिला दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में। जेआरडी टाटा से सामाजिक संस्था की शुरआत पचास साल पहले की गई थी जिस में रत्न टाटा आज की सभा के विशेष वक्ता और शामिल महमान थे। अभी दिल्ली के दंगों में मरने वाले लोगों और घायलों पीड़ितों की खातिर थोड़ा मौन रखकर दुआ मांगी गई देश की शांति की कामना के साथ। रत्न टाटा जी का उद्बोधन जैसा उम्मीद थी देश की शिक्षा गरीबी रोज़गार स्वास्थ्य की समस्याओं को लेकर था और उनके परिवारिक उद्योगपति टाटा संस्थान की देश जन सेवाओं की बात थी। इस सभा में कोई दो हज़ार लोग अधिकांश दिल्ली और देश के जाने माने ख़ास वर्ग से बुलाये गए थे। दो लोग डॉ रानी बांग और डॉ अभय बांग खास थे जिनको उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। डॉ रानी बांग जी ने अपनी बात की शुरुआत ही दिल्ली दंगे पीड़ित लोगों के दर्द से की ये भी बताया कि जिस ग्रामीण महारष्ट्र के भाग से उन्होंने अपनी जनता के स्वास्थ्य और महिलाओं को सक्षम बनाने के कार्य से की थी वो ऐसी ही दशा से बदहाल था। यहां इक विसंगती पर्दे के पीछे छिपी भी वास्तव में सामने थी की आज़ादी के सतर साल बाद सरकार और समाजिक संगठनों संस्थाओं के तमाम दावों के बाद भी दूर दराज गांव जंगल जैसी हालत खुद देश की राजधानी दिल्ली में है। मगर शायद इस को सोचने समझने की कोशिश तो क्या ज़रूरत भी ये तमाम लोग नहीं समझते हैं कि हमने इतने साल में क्या हासिल किया क्या खोया है क्योंकि हम असलियत से नज़रें मिलाते हुए घबराते हैं कि जब दुनिया इतना आगे बढ़ चुकी है हम तथाकथित उच्च वर्ग अभिजात वर्ग उद्योगपति धनवान और शानदार ढंग से जीवन बिताने वाले आत्ममुग्ध हैं और अपने स्वार्थ अपनी शोहरत अपनी विलासिता को पाकर गर्व की बात करते हैं। गांधी जैसे लोग हमारे लिए वास्तविक ज़िंदगी में आचरण में कोई जगह नहीं रखते केवल देशभक्ति और आदर्शवादी भाषण देने को किसी मुखौटे की तरह हैं। बेशक डॉ रानी बांग और डॉ अभय बांग दोनों ने जीवन भर कड़ी लगन से सराहनीय कार्य किया है। मगर जब हम उनको आदर देते हुए तालियां बजाते हैं तो क्या हमने सोचा है अभी तक अपने लिए ही बहुत किया क्या अब भी वास्तविक कार्य उनकी राह पर चलकर करने की कोई भावना है। और नहीं है तो हम आडंबर करते हैं औरों से चाहते हैं अच्छे कार्य करें खुद विलासिता ऐशो आराम की चाहत को छोड़ नहीं सकते हैं। कहने का अर्थ ये है कि हम दोगले मापदंड अपनाने वाले लोगों का समाज हैं। रानी बांग के बाद डॉ अभय बांग जी ने अपनी बात कहते हुए आज के समय की चर्चा आपत्काल लगाने के समय की घटना से की और बताया कि तब इंदिरा गांधी बेहद ताकतवर थी और सत्ता के मद में मनमानी करते हुए संविधान को नागरिक अधिकारों को कुचलती थी तब उनके वकील रहे नानी पालकीवाला ने उनके लिए वकील होने से अपना इस्तीफ़ा देते हुए उनको खत लिखा था। क्या आज कोई वकील इस समय वही सब करने वाले सत्ताधारी नेता से कह सकता है।
मैं सोचता हूं इस सभा के इस पहले इक घंटे के आयोजन को लेकर उस सभा में उपस्थित दो हज़ार लोगों में से बाद में क्या सोच भी रहे होंगे या फिर याद भी करेंगे या अधिकांश को बाद के दो घंटे के शानदार संगीत नाटिका का अवलोकन करने का मनोरंजन का आनंद का अनुभव ही महत्वपूर्ण लगता होगा। अब बाद के कला संगीत नाटक के शानदार आयोजन की चर्चा आगे करते हैं।
रौनक एंड जस्सी संगीत नृत्य नाटक ( बुक माय शो )
कहने को इश्क़ मुहब्बत प्यार ही लैला मजनू हीर रांझा रोमियो जूलियट जैसी कहानी पंजाब की ज़मीन से ताल्लुक रखती हुई। मगर जिस तरह से पंजाबी के उन गीतों को पिरोया गया है जो अब पंजाब ही नहीं भारत भर बल्कि विदेशी चाहने वालों की भी ज़ुबान से रूह तलक रचे बसे हुए हैं। शुरुआत की दमा दम मस्त कलंदर से और बेहद मधुर स्वर में नृत्य के साथ तालमेल बनाते कहानी की बुनावट को रचते हुए लोकगीतों का आनंद बढ़ाते हैं और दर्शकों को जोड़ने में सफल रहते हैं। नायक नायिका नायक के दोस्तों और नायक के सहायक मामाजी और नायिका की सहायिका दाई मां सभी का अभिनय किरदार को जीवंत बना देता है। दिल्ली से पहले मुंबई में धूम मचा चुका है। बेहद शानदार भव्य और दर्शनीय है ये संगीत नाटक हमेशा यादगार बनने के लिए उपयुक्त होगा।
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