जनवरी 22, 2020

मिलिए इनसे जन्म सफल हो जाएगा ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

 मिलिए इनसे जन्म सफल हो जाएगा ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया 

     ( इस कथा को सुनने-पढ़ने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती और मुक्ति मिलती है )

ये वही लोग हैं जिन्होंने कभी अपने माता पिता की बात नहीं मानी शिक्षा हासिल की किसी तरह उपाधि पाने को जानकारी पाना समझना मकसद नहीं था। नौकरी व्यवसाय कारोबार में सफल होने को अच्छे बुरे की चिंता कभी की नहीं। अपने फायदा करने को चोरी हेराफेरी छल कपट सब किया बिना कोई अपराधबोध मन में लाये हुए। गीता कुरान बाईबल रामायण सब की बात सुनी समझी किसी की भी नहीं। नानक बुद्ध तुलसी कबीर सभी संतो के नाम रट लिए उनकी वाणी को नहीं जाना समझा। खुद को आईने में नहीं देखा और अपनी बढ़ाई खुद औरों से करते रहे दुनिया को बुरा कहते समझते बतलाते रहे। जीवन भर अपने स्वार्थ पूरे करने को मनचाहे कर्म करते रहे और अपने और अपने बच्चों को जैसे भी संभव हुआ दुनिया का सुख देने का काम करते रहे। आदर्श सच्चाई नैतिकता शब्दों को लेकर कभी भूले से भी विचार नहीं किया। देश समाज में जितना भी पतन होता रहे इसकी चिंता कभी नहीं की। पैसे कमाना साधन जमा करना मौज मस्ती करना यही बस मकसद बन गया और खूब हंसे नाचे झूमे आनंद लिया। पाप अपराध के साथ कभी लड़ना नहीं चाहा और उनसे बचने की जगह साथ निभाते रहे। धर्म को समझा नहीं जाना नहीं धर्म की रह चले नहीं बस धर्म धर्म का शोर करते रहे आडंबर करते रहे जीवन भर धार्मिक होने का। कभी कोई धर्मगुरु मिल गया तो शिष्य बन गए मगर कभी नहीं देखा कि जो खुद लोभी लालची है और और जमा करता है अकूत धन सम्पति जमा करता रहता है कोई रास्ता अच्छा बुरा छोड़ता नहीं दुनियादारी का उसके उपदेश कितने सार्थक हो सकते हैं। सबको त्याग की बात कहता खुद मोह माया में फंसा उलझा हुआ है। ये लोग जीवन भर मनमानी करते रहे हैं मगर देश समाज को कभी कुछ भी योगदान नहीं दिया बल्कि जो भी जैसे गलत खराब हुआ उस में ख़ामोशी से सहयोगी बने रहे हैं। 

   जो कोई भी समाज की सच्चाई की बात करता झूठ को झूठ कहने का साहस करता वो इन लोगों को नासमझ पागल लगता था। ये हमेशा ऐसे लोगों से दोस्ती करने से बचते रहे। देश के इतिहास और समाज की पुरानी मर्यादाओं की इनकी समझ सतही रही और महान लोगों की गहरी बातों को समझना ज़रूरी नहीं लगा इनको। जिन गांधी भगतसिंह सुभाष जैसे नेताओं ने मिलकर देश की खातिर सब कुछ न्यौछावर किया उनको भी ऐसे लोगों ने अपनी मर्ज़ी और साहूलियत से बांटने की कोशिश की। महान नेताओं की महानता उनकी सादगी उनका त्याग ऐसे लोगों को पसंद नहीं आया और जिस किसी ने आडंबर बड़े बड़े झूठे दावे भाषण ही देने का कार्य किया इनको वही अपना आदर्श लगा जो बात कुछ नहीं चाहत की करता हो मगर चाहता हो सब उसी को हासिल हो और उसके लिए सही गलत की भी परवाह नहीं करता हो। बस इनको ऐसा इक नेता मिल गया जिसने पहले सभी नेताओं को खराब और खुद को मसीहा घोषित करने को हर तरीका अपनाया आज़माया। पहली बार किसी ने ऐसा वातावरण देश में बना दिया कि देशभक्त होने का अर्थ उस नेता की महिमा का गुणगान करना हो गया। जो भी देशवासी उसकी विचारधारा से सहमत नहीं उसको देश भक्त नहीं होने का आरोप झेलना पड़ गया। 

ये वही ऊपर बताये लोग हैं जिन्होंने देश समाज की रत्ती भर परवाह नहीं की थी मगर अब इक नेता की जय जयकार कर खुद को सच्चे देशभक्त बताने लगे और जो हमेशा देश की समाज की बात करते रहे उनकी देशभक्ति पर सवाल करने लगे हैं। इनके दिमागों में भाषा में आचरण में नफरत भरी पड़ी है अपने ही देश के भाई बहनों दोस्तों से लड़ने लो तैयार हैं इक नेता की आलोचना करने पर। देश का संविधान देश का कानून और वास्तविक धार्मिक सदभावना मानवता की बात इनके लिए व्यर्थ है। देश के लिए सबसे अधिक खतरा इसी आवारा भीड़ का है जैसा व्यंग्यकार परसाई जी को डर था होता लग रहा है। जाने इस कहानी को राजा नंगा है कहानी से क्या नाता हो सकता है शायद ये उस का अगला अध्याय है। अब राजा की पोशाक हर पल शानदार बेहद कीमती है चमकती हुई भी है मगर देश की अर्थव्यवस्था की बदहाली को छिपाने ढकने में फिर भी नमाम है। नाम खुमारी नानका चढ़ी रहे दिन रात गुरुनानक ने भगवान को लेकर कहा था ये इक आदमी को भगवान बना बैठे उसी की नाम की माला जपने लगे हैं। इन्होने अपना जीवन सफल कर लिया है और ये भी पक्की बात है जिस दिन सत्ता नहीं रही इन लोगों ने कोई दूसरा और भगवान बना लेना है क्योंकि अब इनको कोई न कोई चाहिए ईबादत करने को। चाटुकारिता की सीमा गुज़र गई गुलामी में मज़ा आने लगा है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें