जुलाई 01, 2019

हमारे दल में शामिल होना है ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

   हमारे दल में शामिल होना है ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया 

    सब जिधर जा रहे हैं गया राम भी उधर जाना चाहते हैं। बुलावा मिलना कठिन नहीं है जानते हैं जब नाम आया राम से गया राम हुआ था उन्हीं की मेहरबानी थी जो सौदेबाज़ी करवाते हैं। सत्ता पाने को विधायक संसद की ज़रूरत हो तब माल मिलने के साथ खाने को दूध मलाई भी मिलती है। मगर बाद में सरकार बन जाने के बाद मामला उल्टी गंगा बहाने की तरह भी होता है। अभी जिस दल में हैं उसका राहुकाल चल रहा है पंडित जी ने दल बदलने को सलाह दी है। बीच के दलाल से बात की तो मुलाकात तय होने पर मिलने आए हैं। 

आईये आपका स्वागत है बड़ी देर कर दी मेहरबां आते आते। गया राम बोले जी मैं तो गया ही था घर वापस आने को ही। भूलसुधार करना चाहता हूं दिल तो हमेशा से यहीं पे था , बस राजनीतिक विवशता के कारण जिधर चुपड़ी रोटी मिलती है दिल मचल जाता है। अब उस दल में रोटी भी जली हुई बेस्वाद बंटती है कोई मीठा नमकीन का सवाल ही नहीं। पेट का सवाल है भूखे भजन नहीं होता तो देश सेवा की राजनीति कैसे संभव है। लोगों से झूठ कह सकते हैं जिस जगह सत्ता का महाझूठ चलता है उस जगह हम जैसे लोगों का झूठ टिक नहीं सकता तभी साफ सच सच कहना उचित है। हर कोई इधर कोई विचारधारा बदलने से नहीं आया है। और अब आपकी भी विचारधारा बदल गई है उसी दल की नकल बन गई है जिसको हराया था। नाम बदला है दल का आधे लोग उसी दल से लाये हैं आप भी। आपके दल में शामिल होने को जो करना है करने को तैयार हूं।

   आपको और कुछ भी नहीं करना है अपनी पिछली सारी पढ़ाई इतिहास की धर्मं की भुलाकर जैसी हम चाहते हैं पढ़नी है और दोहरानी है। कल तक आपका आदर्श कोई और था अब आपको उसी को खराब बताना है उसे मतलबी और देश समाज का विरोधी साबित करना है और हमारे दल के नेता को देश का नहीं दुनिया का सबसे अच्छा और महान व्यक्ति घोषित करना है। आपको हमारी पाठशाला में पढ़ना है समझना है हर बात को नये ढंग से।  दिल आत्मा रुह से बदलाव कभी आसानी से नहीं आता है , कोई भी और ऐसा नहीं कर सकता न किसी ने किया है जो हम करना जानते हैं। हमारे दल में शामिल होते ही आप आदमी इंसान नहीं इक मशीन बन जाओगे जिसका तार या बटन हमारे हाथ होगा। कठपुतली बनकर इशारों पर चलना है तुम मशीन हो जाओगे तो अच्छा बुरा नहीं समझना सोचना जो करने को निर्देश दिया मशीनी मानव बन करना होगा। वोट देने से कोई बात कहने तक। हैरान नहीं हो जाना हमने कंप्यूटर या फोन की तरह प्रोग्रामिंग करना सीख लिया है जो भी दल में शामिल होता है उसका जिस्म नहीं बदलता भीतर का सब बदल जाता है। पिछले सब फॉरमेट कर मेम्मोरी से मिटा कर अपना सॉफ्टवेयर डाल देते है और सब उसी ढंग से सोचने समझने लगते हैं।

शामिल होने वाले दल की किताब का पहला सबक पढ़ रहा है गया राम। धर्म की बात साफ है हमारा धर्म सत्ता की राजनीति करना है जिस में सब जायज़ है चोरी हेराफेरी झूठ फरेब जो जब ज़रूरत हो। कोई दुविधा मन में नहीं रखनी क्या भला क्या बुरा है। हर धर्म की बात भाषण तक अमल करने को कोई भी धर्म अपना नहीं है। धर्म इक सीढ़ी है ऊपर चढ़ने की इस के सिवा कुछ भी नहीं , पाप पुण्य हमारे लिए बराबर हैं। जितने पुराने नायक हुए हैं हमने उनको सत्ता की शतरंज की बिसात पर मोहरे बनाकर अपनी चाल चलनी है। गांधी का नाम काम की चीज़ है उनका अहिंसा का विचार किसी काम का नहीं है हमारा मतलब धार्मिक उन्माद फैला कर हल होता है तो भीड़ की हिंसा पर ब्यानबाज़ी करनी है और उसे बढ़ावा देना है। हम जा रहे हैं जिधर उधर इक अंधी गली है और भविष्य क्या होगा कोई नहीं देख पा रहा मगर हमारा नेता मानता है हमारी आंखों को मोतियाबिंद हो गया है वास्तविकता की रौशनी से हमारी आंखे चुंधिया सकती हैं। हमने घने अंधकार को रौशनी का नाम देकर महाभारत के धृतराष्ट्र की तरह निर्णय करने हैं और जिनकी आंखों की रौशनी बची हुई है उनको गंधारी की तरह अपनी आंखों पर दलगत स्वार्थ की पट्टी बांध का रहना है। सब हमारे साथ हैं भीष्म पितामह मौन हैं गुरु द्रोणाचार्य बेबस हैं कोई सत्ताधारी को सही गलत नहीं बता सकता है। सब के सब सत्ता के सिंहासन से बंधे हुए हैं खामोश हैं। गीता की बात नहीं कहनी रामायण की नहीं समझनी महाभारत का अंजाम नहीं सोचना बस आदमी से इक संख्या बन जाना है।

    भगवान कहीं नहीं है इक छलावा है हम जिसे भगवान मानते हैं वही हमारा भगवान खुदा मसीहा है और जिसको ईश्वर का दर्जा रुतबा दिया उस पर शक नहीं करते सवाल नहीं किया जाता। उसकी जय जयकार से हमारा कल्याण होता है। जैसे किसी पर वशीकरण या कोई जादू असर कर गया हो गया राम पल भर में बदल गये हैं और शिष्ट भाषा आचरण को त्याग अहंकार और भड़काने की भाषा बोलने लगे हैं। उनको लगता है यही दल उनके लिए सब कुछ है हमेशा से इसी के रहे हैं किसी दूसरे दल का नाम तक नहीं जानते हैं। आरती गाने लगे हैं तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो तुम्हीं हो बंधु सखा तुम्हीं हो सामने सुनहरे फ्रेम में जड़ी तस्वीर दल के एक ही महान नेताजी की है। नतमस्तक हैं खैरात से झोली भर गई है खली आते हैं सब झोलियां भर भर जाते हैं बताते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें