सरे-राह चलते चलते ( आठवां सुर ) डॉ लोक सेतिया
ज़माना बदल चुका है , मीना कुमारी की पाकीज़गी की कहानी पुरानी है। खुले आम आरोप लगाती थी इन्हीं लोगों ने ले लेना दुप्पटा मेरा , सिपहिया से गवाही लेने को कहती थी जिसने बीच बाज़ार छीना था दुप्पटा उसका। अर्थात तब का दरोगा छेड़खानी भी करता था तब भी पूछने पर झूठ नहीं बोलता था। मान लिया करता था कि हां मैंने छीना था दुप्पटा। तभी मीना कुमारी जंगल के बनाये आशियाने में भी खुद को असुरक्षित नहीं समझती थी। कोई डर नहीं लगा और अकेली इक वीरान जगह में मौसम है आशिकाना गुनगुनाती थी कोई लुटेरा नहीं था लूटने वाला। अब मीना कुमारी हो या राजकुमार हो भरे बाज़ार में रोक कर सड़क पर पार्क में गली में खेत खलियान में सिनेमा हाल से लेकर किसी सभा में शामिल होने पर अपने होने का सबूत देना लाज़मी है। कुछ इस तरह से समझ सकते है सवाल जवाब हाज़िर हैं।
आप कौन हैं पूछा जाता है। नाम बताते हैं तो फिर सवाल नाम नहीं हैं कौन हिंदु मुस्लिम देशभक्त या कोई मुजरिम हैं भागे हुए। करते क्या हैं कुछ तो करते होंगे और क्या सोचते जा रहे थे सच सच बताओ कोई योजना सरकार का विरोध करने की बनाई है क्या। ये किस रंग की कमीज़ किस रंग की पतलून और भीतर क्या पहना हुआ है बनियान किस कंपनी की क्यों पहनते हैं। किस अभिनेता की समझाई बात को समझा है। पहले ये बताओ आप ज़िंदा हैं या मर चुके हैं आपकी संख्या बताती है सरकारी फाइल में आपकी मौत कभी की हो चुकी है। अपने घर से निकलते सूचित किया था किधर क्यों जाना है घर वालों को नहीं सरकारी विभाग को चौबीस घंटे पहले बताना होगा। आपकी आज़ादी ठीक है मगर आपकी सुरक्षा की बात है बिना बताये इधर उधर आना जाना उचित नहीं है।
रहते कहां हैं घर कब बनाया अपना है किराये का है या सरकारी ज़मीन पर अवैध बना हुआ है। मकान ईंट सीमेंट से बना है अपने खरीदा या बनाया कोई सबूत होगा विरासत में मिला तो बाप दादा कब से रहते थे। कितने कमरे कितने सामान और क्या क्या निर्माण किया हुआ है। बाज़ार को जा रहे हैं तो खरीदना क्या है क्यों खरीदना ज़रूरी है और नकद लेना है उधार या फिर बैंकिंग द्वारा। चार किलो सब्ज़ी चीनी चाय पत्ती क्या कोई दावत है और दावत है तो सरकार को बुलावा भेजना था बेशक सरकार नहीं आती मगर सरकार को अपमानित नहीं कर सकता कोई भी। आपको पता है मौसम का हाल क्या है अगर बरसात हुई तो छाता साथ रखना चाहिए आपको। अकेले चलने समय इधर उधर ध्यान रखना है कोई खबर नहीं किस तरफ से कोई आपको नुकसान पहुंचा सकता है। सरकारी नियम कायदे आपकी खातिर ही बनाये हुए हैं अपने कितनी मिठाई कब कब खरीदी और खुद खाई या किसी को खिलाई का हिसाब साथ होना चाहिए तब और खरीद सकते हैं।
जो अभी तक होता रहा हमेशा नहीं होगा। आपको हर दिन बदलते नियम कानून को जानकर समझकर चलना चाहिए। कोई भी तकलीफ हो रोग चोट या एमरजेंसी आपको पहले तैयार रहना चाहिए आपकी जान की कोई कीमत नहीं है सरकारी हर बात की कीमत होती है। आजकल आम नागरिक को हर दिन साबित करना होता है सच्चा देशभक्त है। सत्ताधारी दल का सदस्य बनते खुद ब खुद सबूत मिल जाता है ऐसा समझा जाता है। पांच साल जिस नेता की बुराई करते रहे अगर वास्तव में उनके आचरण की अच्छी बातों को थोड़ा भी अपनाते तो जो आज दावा करते हैं मुमकिन है मगर विश्वास नहीं कि मुमकिन हो भी सकता है मुमकिन हो भी सकता था। आजकल उनकी बुराई करनी लगता है छूट गई है चुनाव निपटने के बाद फिर शायद शुरू करेंगे क्योंकि बुराई करने की बुरी आदत जाती नहीं है। अपनी रेखा बड़ी बनाना कठिन था तो उनकी छोटी करने को मिटाने की कोशिश करते रहे। अभी भी हुई लगती नहीं। जनता की इंतज़ार की रात अभी भी बीती नहीं है और याद आती है वही ग़ज़ल। शब-ए -इंतज़ार आखिर कभी होगी मुख़्तसर भी , ये चिराग़ बुझ रहे हैं मेरे साथ जलते जलते।
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