मार्च 25, 2019

क्या से क्या हो गया ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

         क्या से क्या हो गया ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया 

              असली क्या है नकली क्या है मत पूछो कोई। हरि को भजे सो हरि सा होई। जिनको लोग समझते हैं जनाब को बिल्कुल नहीं भाते जनाबेआली उन्हीं जैसा बनने की ख्वाहिश दिल में पाले हैं। मामला हिंदी फिल्मों की तरह लगता है , ना ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे। करना था इनकार मगर इकरार तुम्हीं से कर बैठे। सत्ता सुंदरी की वफ़ा बदलती रहती है गाइड का नायक सन्यासी बन जाता है तो घर बार छोड़ने वाला चक्कर में आ फंसता है। खुदा उनकी हालत उस तरह की नहीं करे कि गली गली गाता फिरता हो , क्या से क्या हो गया बेवफ़ा तेरे प्यार में। लब कुछ कहते हैं मन की बात और होती है मगर समझने वाले समझ जाते हैं। उनकी जैकेट थी इनको भी थोड़ी बदल पसंद रही। सजना धजना सीखा काफी उन्हीं से मिलता हुआ। फोटो सेशन देख लो पोज़ भी उन्हीं जैसे बनाते हैं इसी को कहते हैं किसी का भूत सवार होना। ये नफरत है कि दिल में छुपी हुई चाहत जो हर बात उनकी बात से शुरू उनकी बात पर खत्म भी होती है। मनोविज्ञान वाले बता सकते हैं जिनसे आप को लगता है नफरत करते हैं वास्तव में उनके लिए आपके भीतर आदर प्यार मुहब्बत छुपी हुई है। मज़बूरी है उनकी चाहत मुहब्बत ज़ाहिर नहीं कर सकते अन्यथा आपको खड़ा करने वाले संबंधी आपको ज़मीन पर नहीं आसमान से सीधे रसातल में पहुंचा सकते हैं। मगर इक बात जान लेना ज़रूरी है फ़िल्मी नायक के डुप्लीकेट होना कभी अच्छा नहीं होता है और राजनीति में अपने विरोधी दल के नेताओं की तरह बनते बनते अपनी वास्तविकता खो जाती है। कितने लोग अपनी असलियत को भुलाकर नकली निभाये हुए किरदार बनकर जीते जीते जीना भूल जाते हैं।  

      कहते हैं आपके आलोचक वही लोग होते हैं जो वास्तव में चाहते हैं आपसा बनना मगर जानते हैं इस काबिल हैं नहीं। जनाब को जाने क्यों सबसे पहले शासक से खुद को अच्छा कहलवाने की ज़िद है। जो उन्होंने कहा था देश का पहला सेवक होने की बात उसी को दोहराया भी। अब सुनते हैं उनकी तरह ही देश को लेकर किताब लिखने का इरादा है , अब कौन समझाए कि लिखने में सच लिखना पहली शर्त होती है। जिसने अभी तक लिखे हुए को मिटाना ही सीखा उस को सच को सच लिखना कोई कैसे बताएगा। दिन रात आपको उनकी याद सताती रही है जैसे बचपन का कोई डरावना ख़्वाब फिर देख नींद खुल जाती है। नेता लोग जो नहीं हो सकते चाहते हैं सब उनको वही समझने लगें। सत्ता से कोई मोह नहीं की बात की थी मगर अब सत्ता हाथ से छूट नहीं जाये का डर सताने लगा है। सत्ता हासिल की थी जिन वादों की बौछार कर उनका अब ज़िक्र भी करना पसंद नहीं है जो करने को कहा था उसको छोड़ क्या क्या किया है समझाना चाहते हैं। भविष्य में आगे बहुत कुछ कर दिखाने की बातें हैं मगर कोई ये नहीं सोच ले कि पिछली बार की तरह फिर सत्ता मिली तो करना कुछ और है। हाथी के दांत खाने को अलग दिखाने को अलग होते हैं। सब जानते हैं कीमत बाहर दिखाई देने वाले दांतों की होती है। सफ़ेद हाथी की तरह साबित हुए हैं जनाब सत्ता पाने के बाद जनता को। देश की विवशता रही है सफ़ेद हाथियों को पालना जिनको नागरिक की जीने की समस्याओं की चिंता नहीं रही बस अपनी खुद की गुणगान की शानो शौकत की चिंता रही है।  

 नेता जी की चाहत कुर्सी है मगर उनकी निगाह लक्ष्मी पर रहती है। सत्ता बूढ़े नेता जी को युवा घोषित करती है और धन की देवी लक्ष्मी से गठबंधन करवा देती है। सत्ता से पहले नेता जी को लक्ष्मी के रंग पर आपत्ति थी और काली कलूटी कहकर चिढ़ाया करते थे ऐसे में जब उसी पर सब न्यौछावर करने की बात कही तो हैरानी हुई। मगर नेता जी पलटी मार गए कहने लगे भला लक्ष्मी कभी काले रंग की होती है सांवरी सलौनी लगती है हरी साड़ी लाल पीली रंग की चोली पहन क्या खूबसूरत लगती है। अब पुरानी सब बातें काला धन की राजनीति की छोड़ कर तुझ संग लगन लगाई सजनी की धुन बजाते हैं। किसी ने पूछा अबकी बार कालाधन की बात करनी है कि नहीं। हंस दिये नायक जी भला लक्ष्मी का रंग कोई देखता है घर आई लक्ष्मी की आरती उतारते हैं आती हुई लक्ष्मी सुंदर लगती है जाती हुई गरीबी और चिंता भाती है। सत्ता किसी को बुरी नहीं लगती और सत्ता मिलती है तो लक्ष्मी का वरदान मिलता है वरदान में मिली सौगात की रंगत की बात कौन करता है। धन काला सफ़ेद नहीं होता है जगह बदलने से उसका नाम बदल देते हैं। काला रंग भी सफ़ेद रंग से मिलता है और सलेटी रंग बनकर खूब अच्छा लगता है।

        बाबाजी भी काला धन पर नहीं बोलते हैं उनकी कमाई की चमक से चमकदार कुछ भी नहीं।  उनका डिटरजेंट उनका घी उनका शहद उनका साबुन खुद उनकी दाढ़ी सब असली हैं उनकी काली दाढ़ी में कोई तिनका ढूंढना देश विरोधी कार्य है जैसे नेताजी की किसी बात की आलोचना पाप और जांच की बात देश भक्ति के खिलाफ समझी जा सकती है। काला धन और विकास की बात कभी बाद में की जा सकती है पहले सत्ता की देवी लक्ष्मी और कुर्सी से गठबंधन का जोड़ कायम रखना महत्वपूर्ण कार्य करना है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें