जुलाई 09, 2018

लाज का घूंघट उतार दिया ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

     लाज का घूंघट उतार दिया ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया 

        राज़ की बात खुलेआम कह दी। पहले एक दल का नाम लेते थे उस से देश को मुक्त करवाना है। अब बोलते हैं उस से मुक्त हो गया देश अब सभी विपक्षी दलों से भारत को मुक्त करवाने की तैयारी है। आगे आगे देखिये होता है क्या , अच्छे दिन देख लिए अब रोता है क्या। ये उन लोगों को आदर्श मानते हैं जिनको जब देश गुलाम था तब अंग्रेजी शासन से आज़ादी अच्छी नहीं लगती थी। गुलाम रहना नसीब नहीं हुआ तो देश को अपना गुलाम बनाने की राह चले हैं। याद नहीं किस ने कहा था सबका साथ सबका विकास। ये कैसा लोकतंत्र लाना चाहते हैं जिस में कोई विपक्ष ही नहीं हो। सब विपक्षी दल बुरे केवल आपका दल अच्छा। आपका सपना खुदा न करे सच हो गया तो उसके बाद किस से देश को मुक्ति दिलवाने की बात करोगे।  यकीनन अगली बारी विरोध करने वालों की होगी। न जाने ये देशभक्ति की कैसी परिभाषा गढ़ी है जिस में देश के संविधान को ही दरकिनार करना चाहते हैं। ये तो हद है 180 डिग्री घूम कर चाईना और रशिया , रूस और चीन की तरह का शासन लाने का इरादा है जिस में सत्ताधारी दल को ही चुनना होगा। अभी तक तोड़ने की बात करते रहे हैं जोड़ने की कब सीखोगे। बनाना कठिन है मिटाना आसान है। लोग आज भी आपके दल के उसी नेता की बात करते हैं जिस ने करिश्मा कर दिखाया था 24 दलों को साथ रखकर सरकार बनाने और चलाने का। लोग उनको महान समझते हैं जो अपने विरोधी को भी अपना बना सकते हैं। आप लगता है जो साथ दे उसी को खत्म करना चाहते हैं , ये किस धर्म में किस राजनीतिशास्त्र की किताब में लिखा है। जो लोग ये मानते हैं कि जो हमारे साथ नहीं वो दुश्मन के साथ है और हमारा दुश्मन है वो खुद ही आप अपने दुश्मन होते हैं। जिस दल में ऐसे बयान देने वाले नेता सत्ता में हों उनको बाहर किसी दुश्मन की क्या ज़रूरत है। आपको खतरा किसी भी और दल से नहीं है खुद अपने आप से है। आपका अहंकार आपका सबसे बड़ा दुश्मन है। 
 

 

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