हमने पुल बना दिया है ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया
पहले राज़ किसी को भी समझ नहीं आया था , हमीं ने सवाल किया था उन पर गंदगी के छींटें तक नहीं लगे जब कि रहे सत्ता के गंदे गटर में दस साल। अब देखो जो जो कल उधर थे और हम जिनको देश को लूटने वालों का साथी मानते थे , उनको खुद ही हाथ बढ़ा थाम लिया और अपनी तरफ खींच लिया। अब इधर आते ही पापी भी धर्मात्मा बन जाते हैं। उनपर कोई दाग़ नहीं लगेगा उनको मैली गंगा में कदम भी नहीं रखने दिया। समर्थन के पुल से पार ले आये हैं। ये हमारी नई नीति है कपड़े बदलते ही लोग बदल जाते हैं धर्म परिवर्तन की तरह। हम दल बदल धर्म परिवर्तन को सही नहीं मानते , हम बीच बीच में आर पार जाने को पुल की तरह की सुविधा रखते हैं राजनीति में। हमने कितना बड़ा काम किया है जो हमारे प्रधानमंत्री होने की बात का विरोध कर चला गया था उसे खुद लौटा लाये हैं। अवसरवादिता को हमारी रणनीति समझ सकते हैं , कल इसी ज़रूरत नहीं होगी क्योंकि तमाम बड़े नेताओं की तरह इस के भी पंख काटकर इसे पिंजरे का पंछी बनाना आता है हमें। अच्छे दिन की बात पुरानी हुई और अब लच्छे दिन लाने हैं अगले चुनाव में। लच्छे दिन कैसे होते हैं अभी से नहीं बताया जा सकता। खुद हम नहीं जानते थे अच्छे दिन कैसे होंगे , अब न जाने लच्छे दिन क्या होते हैं , यूं समझो अच्छे दिन से अलग ही होंगे।
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