जून 10, 2017

भगवान हुए परेशान ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

    भगवान हुए परेशान ( हास-परिहास )  डॉ लोक सेतिया

भगवान सदियों से सोये हुए थे
आखिर उनको जगाना ही पड़ा
हर पत्नी का यही तो फ़र्ज़ है
पत्नी को भी उसे निभाना ही पड़ा ।
 
उठे नहाये धोये खाया पिया तब 
उसको कर्तव्य बताना ही पड़ा
जाओ दुनिया का हाल भी देखो
परमेश्वर को ये समझाना ही पड़ा ।

पता चला कहीं भीड़ लगी हुई है
चले गए भगवान उसी जगह पर
लेकिन इतना शोर था सभा में
सुनते हर कोई जाएगा ही डर ।
 
चढ़ गए भगवान मंच पर जब 
किसी की नहीं उनपे पड़ी नज़र
कोई नेता जिस दिशा से आ रहा
सभी देखने लग गए थे बस उधर । 

आखिर उनको समझ नहीं आया
ये कोई क्या है हुआ अवतार नया 
सब सर उसी को झुकाए खड़े हैं
करते उसी की सभी जय-जयकार ।
 
संचालक को परिचय देकर तब
कहने लगे दुनिया के पालनहार
खुद मैं आया हूं धरती पर आज
करने सब दुखियों का खुद उद्धार । 

मंच संचालक ने मांगा तब उनसे
परिचय पत्र , वोटर कार्ड आधार
भगवान के पास नहीं था लेकिन
कुछ भी सरकारी आमंत्रण पत्राचार ।
 
समझाया भगवान को तब यही
नहीं मिलेगा कुछ भी इधर जाओ
जाकर कहीं और ढूंढो अपने लिए 
जगह कोई दफ़्तर या कोई घरबार । 

बहुत सभाएं देखी जा जाकर मगर
नहीं दे पाए अपनी कोई भी पहचान
कैसे प्रमाणित करते ईश्वर धरती पर 
वही हैं अपनी इस दुनिया के भगवान ।
 
हालत खराब देख आया इक लेखक
पूछा क्या हुआ किसलिए हुए परेशान 
अब तुझे कोई कैसे जानेगा यहां पर
बना लिए कितने सभी ने यहां भगवान ।

कोई नेता बना खुदा है देता वरदान
कोई खिलाड़ी बन गया है भगवान
अभिनेता कोई ईश्वर टीवी पर देख   
 निराली उसकी शान करती है हैरान ।
 
तुम तो पत्थर की मूरत बनकर 
बैठे रहते चुपचाप करते पश्चताप 
कोई तुमको प्रवेश नहीं देगा यहां 
तुम ऐसे हो बिन बुलाये मेहमान । 

असली नकली सब असली लगते हैं 
नकली लगते हैं इक खुद हो भगवान
नकली असली हैं , और मैं नकली हूं
भगवान तेरी मर्ज़ी , मान चाहे न मान ।
 
वापस जाना भी बहुत कठिन है
आया था ले क्या क्या अरमान
सच बताया जाकर पत्नी को गर 
घर से बाहर होगा अपना सामान । 

घूम रहा इधर उधर समझाता 
इस दुनिया का हूं मैं भगवान
सब को कोई पागल लगता है
अपना नाम हुआ ऐसा बदनाम ।
 
लेखक से जाकर पूछा उपाय
क्या मेरा लिखोगे हुआ अंजाम
रिटायर हो जाओ यही उचित है
नहीं करने को कोई अब काम । 

सब जाते जाने किधर किधर
सोच वहीं मिलता है भगवान
सामने आये जब खुदा भी तब
कहते जाओ छोड़ो भी जान ।
 
धर्म कर्म किसको चाहिए अब
झूठे रटते रहते सब कोई नाम
ये सारे भगवान खुद ही बने हैं
तुम किस के हो अब भगवान । 

देख दशा भगवान की समझ मुझे
आई  इतनी सी खरी इक बात है
सूरज आसमान पर चमक रहा है
दिन लगता जैसे अंधियारी रात है । 
 
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